संत दादूदयाल के सत्संग ने अकबर को किया था प्रभावित, जानें उनके बारे में
संत दादूदयाल के सत्संग ने अकबर को किया था प्रभावित, जानें उनके बारे में
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी, जो इस बार 14 मार्च 2019 को पड़ रही है। इसी दिन संत दादूदयाल की जयंती भी मनाई जाएगी। संत दादूदयाल भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इन्होंने एक निर्गुणवादी संप्रदाय की स्थापना की, जो आजभी "दादूपंथ" के नाम से प्रचलित है। इनका जन्म: 1544 ई. और मृत्यु: 1603 ई. में हुई। वे अहमदाबाद के एक धुनिया के पुत्र और मुगल सम्राट् शाहजहां (1627-58) के समकालीन थे। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन राजपूताना परिवार में व्यतीत किया। हिन्दू और इस्लाम धर्म में समन्वय स्थापित करने के लिए उन्होंने अनेक पदों की रचना भी की।
अनुयायी जपते हैं राम नाम
उनके अनुयायी न तो मूर्तियों की पूजा करते हैं और न कोई विशेष प्रकार की वेशभूषा धारण करते हैं। वे केवल मात्र राम का नाम जपते हैं और शांतिमय जीवन में विश्वास करते हैं, वैसे दादू पंथियों का एक वर्ग सेना में भी भर्ती होता रहा है। इनका जन्म, मृत्यु, जीवन और व्यक्तित्व किंवदन्तियों, अफवाहों और कपोल-कल्पनाओं से ढका हुआ है। अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु परोपकार के लिए तुरंत दे देने के स्वाभाव के कारण उनका नाम “दादू” रखा गया। आप दया दीनता व करुणा के खजाने थे, क्षमा शील और संतोष के कारण आप ‘दयाल’ अतार्थ “दादू दयाल” कहलाए।
सच्चे मार्ग का उपदेश
विक्रम सं. 1620 में 12 वर्ष की अवस्था में दादूजी गृह त्याग कर सत्संग के लिए निकल पड़े, और ईश्वर चिंतन में ही लीन हो गए। अहमदाबाद से प्रस्थान कर भ्रमण करते हुए राजस्थान की आबू पर्वतमाला, तीर्थराज पुष्कर से होते हुए करडाला धाम पधारे और पूरे 6 वर्षों तक लगातार ईश्वर की कठोर साधना की। संत दादूदयाल जी विक्रम सं. 1625 में सांभर पधारे यहां उन्होंने मानव से मानव के भेद को दूर करने वाले, सच्चे मार्ग का उपदेश दिया। तत्पश्चात दादू जी महाराज आमेर पधारे तो वहां की सारी प्रजा और राजा उनके अनुयाई हो गए।
गौ हत्या बंदी का फरमान
उसके बाद वे फतेहपुर सीकरी भी गए जहां पर बादशाह अकबर ने पूर्ण भक्ति व भावना से दादू जी के दर्शन कर उनके सत्संग व उपदेश ग्रहण करने के इच्छा प्रकट की तथा लगातार 40 दिनों तक दादूजी से सत्संग करते हुए उपदेश ग्रहण किया। दादूजी के सत्संग से प्रभावित होकर अकबर ने अपने समस्त साम्राज्य में गौ हत्या बंदी का फरमान लागू कर दिया, ऐसे थे हमारे भारत के संत श्री दादूदयाल जी महाराज।