सावन माह: शिव की आराधना से मनोकामनाएं होंगी पूरी

सावन माह: शिव की आराधना से मनोकामनाएं होंगी पूरी

Manmohan Prajapati
Update: 2019-07-11 08:25 GMT
सावन माह: शिव की आराधना से मनोकामनाएं होंगी पूरी

डिजिटल डेस्क। हिन्दू धर्म में सावन के महीने को बेहद खास माना जाता है, इस माह को श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि यह माह देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। ये महीना भगवान शिव के ध्यान और पूजा पाठ के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। शिव पुराण के अनुसार सावन माह में आने वाले सोमवार को जो भक्त उपवास रखता है, शंकर भगवान उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं। इस साल सावन माह की शुरुआत 17 जुलाई से हो चुकी है, वहीं 15 अगस्त सावन महीने का आखिरी दिन होगा। आइए जानते हें इस माह से जुड़ी कुछ खास बातें...

इस माह में पड़ते हैं ये पवित्र दिन
सावन के इस माह में सोमवार, गणेश चतुर्थी, मंगला गौरी व्रत, मौना पंचमी, कामिका एकादशी, ऋषि पंचमी, 12वीं को हिंडोला व्रत, हरियाली अमावस्या, विनायक चतुर्थी, नागपंचमी, पुत्रदा एकादशी, त्रयोदशी, वरा लक्ष्मी व्रत, नराली पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा, शिव चतुर्दशी और रक्षा बंधन आदि पवित्र दिन आते हैं।

कांवड़ यात्रा
सावन के इस पवित्र माह में भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना करते हैं। इस महीने में भगवान शिव के भक्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए काशी, उज्जैन, नासिक आदि की यात्रा भी करते हैं। शिव भक्त  कांवड़ की यात्रा पर भी जाते हैं और हरिद्वार, गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं। इस यात्रा पर गए लोग इन धामों से पवित्र गंगा जल कांवड़ में लेकर पैदल वापस आते हैं। उनके द्वारा लाया गया यही जल भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। 

शिव के साथ करें माता पार्वती की पूजा
सावन का महीना केवल शिव भक्तों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है। ये माह माता पार्वती को भी समर्पित है। भगवन शिव और माता पार्वती के समान आदर्श पति पत्नी जैसा वैवाहिक जीवन पाने की चाह रखने वाली महिलाएं इस महीने व्रत करती हैं। वो अपने खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए सावन के सोमवार को व्रत रखती 

श्रावण माह में क्या करें

- श्रावण माह में भगवान शिव, मां पार्वती और श्रीकृष्ण की पूजा का बहुत महत्व होता है। इस व्रत को रखने और पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

- पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने के लिए युवावस्था में श्रावण महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया था। इसलिए यह माह विशेष है।

- श्रावण माह में श्रावणी उपाकर्म करने का महत्व भी है। यह कर्म किसी आश्रम, जंगल या नदी के किनारे किसी सन्यासी की तरह रहकर संपूर्ण किया जाता है।

- श्रावण माह में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। इस दौरान बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए।

- श्रावण माह में यात्रा, सहवास, वार्ता, भोजन आदि त्यागकर नियमपूर्वक व्रत रखना चाहिएै दिन में फलाहार लेना और रात को सिर्फ पानी पीना चाहिए।

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