वार करते ही निकला पत्थर से खून, ये है 'शनि शिंगणापुर' की पूरी कहानी

वार करते ही निकला पत्थर से खून, ये है 'शनि शिंगणापुर' की पूरी कहानी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-02 03:25 GMT
वार करते ही निकला पत्थर से खून, ये है 'शनि शिंगणापुर' की पूरी कहानी

डिजिटल डेस्क, अहमदनगर। महाराष्ट्र केअहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर चमत्कारिक माना जाता है। मान्यता है कि इस गांव की रक्षा खुद शनिदेव करते हैं। जिसकी वजह से यहां कभी भी किसी के घर में ना ही चोरी होती है और ना ही कोई आफत आती है। 

महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी है। इसे शनि देव का जन्म स्थान भी माना जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यहां शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है। घर हैं परंतु दरवाजा नहीं और वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है। 

कोई पुजारी नहीं

इस मंदिर की एक और खासियत है कि यहां पर कोई पुजारी नहीं है। रखरखाव के लिये तो कई पंडित हैं, लेकिन पुजारी कोई नहीं है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मंदिर आए वह केवल सामने ही देखता हुआ जाए। उसे पीछे से कोई भी आवाज लगाए तो मुड़कर देखना नहीं है। इसे अपशगुन माना जाता है। 

ये है कहानी 

कहा जाता है कि शिंगणापुर गांव में एक बार भयानक बाढ़ आई। पूरा गांव डूबने की कगार पर था। उसी वक्त एक विचित्र पत्थर लोगों ने पानी में बहते देखा। कुछ दिन बाद जब पानी कम हुआ तो एक ग्रामीण ने उसी पत्थर को पेड़ पर देखा। वह अचरज में पड़ गया। पत्थर को नीचे उतारा और उसके बारे में जानने की लालसा से उसे तोड़ने का प्रयास किया। जैसे ही उसने वार किया पत्थर से खून निकलने लगा। जिसके बाद वह डर गया। और उसने इसकी जानकारी ग्रामीणों को दी। 

पत्थर देखने के बाद भी ग्रामीण इस गुत्थी का सुलझा नहीं पाए और रात हो गई। इसके बाद वे पत्थर को वहीं छोड़कर अपने घरों की ओर वापस चले गए। उसी रात एक ग्रामीण को शनिदेव का स्वप्न आया। शनिदेव ने स्वप्न में ग्रामीण को बताया कि वह गांव में एक मंदिर का निर्माण करें और पत्थर की प्राण प्रतिष्ठा करें।

दूसरे दिन सुबह होने पर ग्रामीण एकत्र हुए और पत्थर हटाने की कोशिश करने लगे। काफी प्रयास के बाद भी पत्थर जगह से नहीं हटा। उस रात फिर से शनिदेव उस शख्स के स्वप्न में आए और उसे यह बताया कि पत्थर कैसे उठाया जा सकता है। इसके बाद पत्थर को उठाकर एक बड़े से मैदान में स्थापित किया गया ।

मान्यता है कि भगवान शनि की इच्छा पर ही उनकी स्थापना खुले आसमान के नीचे की गई है। यहां देशी-विदेशी भक्तों का आगमन प्रायः होता रहता है। 

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