मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से होगी सिद्धि की प्राप्ति, ऐसा है स्वरूप
शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से होगी सिद्धि की प्राप्ति, ऐसा है स्वरूप
डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली मां। इस वर्ष शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन 27 सितंबर यानी कि मंगलवार को है। मान्यता है कि, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से वैराग्य की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी भक्तों को अनंतफल देने वाली दोवी हैं। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
पुराणों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी देवी अपने पूर्व जन्म में हिमालय की पुत्री थीं, जो भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। उनकी इस कामना की पूर्ति के लिए नारदजी ने उन्हें घोर तपस्या करने का उपदेश दिया। जिसके बाद देवी घोर तपस्या में लीन हो गईं और हजारों वर्षों तक भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए भूखे-प्यासे रहकर तपस्या करती रहीं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें उनकी इच्छा के अनुरूप फल दिया और उन्हें पति स्वरूप भगवान शिव की प्रप्ति हुई। कठिन तपस्या की वजह से ही देवी का नाम ब्रह्मचारिणी देवी पड़ा।
स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है तप की चारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली मां। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य होता है। माता के सीधे हाथ में जप की माला और उल्टे हाथ में यह कमण्डल होता हैं। नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। अंत में उनकी तपस्या सफल हुई।
पूजा विधि
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद घर के मंदिर को अच्छे से साफ और गंगा जल से शुद्ध करें।
- अब हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें।
- इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं।
- अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें।
- देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं।
- कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं।
- माता को उनका मनपसंद भोग लगाएं।
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