शारदीय नवरात्र: छठवें दिन करें माता कात्यायनी की पूजा, मनोकामना होगी पूर्ण

शारदीय नवरात्र: छठवें दिन करें माता कात्यायनी की पूजा, मनोकामना होगी पूर्ण

Manmohan Prajapati
Update: 2019-10-04 03:03 GMT

डिजिटल डेस्क। माता के नौ स्वरूपों में से एक है कात्यायनी, इनकी पूजा नवरात्रि के छठवें दिन की जाती है, जो कि आज शुक्रवार को है। मान्‍यता है कि मां कात्‍यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है और भगवान बृहस्‍पति प्रसन्‍न होकर विवाह का योग बनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि अगर सच्‍चे मन से मां की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

यजुर्वेद के आरण्यक में इनका उल्लेख प्रथम दिया गया है। स्कंद पुराण में भी यह उल्लेख है कि ये ईश्वर के क्रोध से उत्पन्न हुई हैं। परंपरागत रूप से देवी दुर्गा की तरह ही माता कात्यायनी लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नवरात्रि के पर्व में षष्ठी के दिन उनकी पूजा-साधना की जाती है। आइए जानते हैं किस मंत्र के जाप से पूरी होगी मां कात्यानी की पूजा और कैसा है इनका स्वरूप..

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन ! 
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी !

माता कात्यायनी अमोघ फलदायिनी देवी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए सभी ब्रज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। माता कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

ऐसी हैं माता कात्यानी
माता कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और प्रकाशमान है। माता की चार भुजाएं हैं। माताजी के दाहिने ओर का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुसज्जित है। माता जी का वाहन सिंह है।

माता कात्यायनी की साधना और उपासना द्वारा साधक को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव युक्त हो जाता है। नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनकी पूजा-साधना से अद्भुत शक्ति का संचार होता है और मनुष्य शत्रुओं को संहार करने में सक्षम हो जाता हैं।

माता कात्यायनी का ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। प्रत्येक साधक के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति साधना पाने के लिए इस मंत्र को कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।

मन्त्र 

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मन्त्र का अर्थ :-  

हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति- स्वरूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।

इसके अतिरिक्त जो भी कन्याओ के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस दिन माता कात्यायनी की साधना पूजा या जप अवश्य करना चाहिए। जिससे उन्हें अपने मनवान्छित वर की प्राप्ति हो और जीवन सुखी बने।

विवाह के लिए माता कात्यायनी मन्त्र

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! 
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम: !!

माता कात्यायनी को जो भी साधक अपने सच्चे मन से स्मरण करता है, उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश हो जाता है। जन्म-जन्मांतर के पापों का हनन करने के लिए माता की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए। 

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