श्राद्ध 2019: जानें किस पितृ का कब करें श्राद्ध, इन बातों का रखें विशेष ध्यान 

श्राद्ध 2019: जानें किस पितृ का कब करें श्राद्ध, इन बातों का रखें विशेष ध्यान 

Manmohan Prajapati
Update: 2019-09-13 04:59 GMT
श्राद्ध 2019: जानें किस पितृ का कब करें श्राद्ध, इन बातों का रखें विशेष ध्यान 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पितृ ऋण उतारने के लिए ही पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है। भारतीय शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि हमारे पितृगण पितृपक्ष में पृथ्वी पर आते हैं और 16 दिनों तक पृथ्वी पर रहने के बाद पितृलोक को लौट जाते हैं। चूंकि इन 16 दिनों के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और हमारे द्वारा श्रद्धा के साथ दी गई सामग्री को स्वीकार करते हैं। इसलिए इन दिनों जो कुछ भी उन्हें श्रद्धा के साथ अर्पण किया जाता है उसे ही श्राद्ध कहते हैं। 

शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के समय काल में पितृ अपने परिवारजनों के आस-पास ही रहते हैं इसलिए इन दिनों में कोई भी ऐसा काम नहीं करें जिस कारण से पितृदेव रुष्ठ हों। पितृ को खुश रखने के लिए पितृ पक्ष में कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

पितृ पक्ष में करें ये काम
पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मण, जामाता, भांजा, मामा, गुरु, नाती को भोजन कराना चाहिए। इससे पितृगण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय भोजन का पात्र दोनों हाथों से पकड़कर लाना चाहिए अन्यथा भोजन का अंश राक्षस ग्रहण कर लेते हैं। जिससे ब्राह्मणों द्वारा अन्न ग्रहण करने के बावजूद पितृगण भोजन का अंश ग्रहण नहीं करते हैं।

पितृ पक्ष में द्वार पर आने वाले किसी भी जीव-जंतु को मारना नहीं चाहिए बल्कि उनके योग्य भोजन का प्रबंध करना चाहिए। हर दिन भोजन बनने के बाद एक हिस्सा निकालकर गाय, कुत्ता, कौआ अथवा बिल्ली को देना चाहिए। मान्यता है कि इन्हें दिया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त हो जाता है। शाम के समय घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर पितृगणों का ध्यान करना चाहिए।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस तिथि को जिसके पूर्वज गमन करते हैं, उसी तिथि को उनका श्राद्ध करना चाहिए। इस पक्ष में जो लोग अपने पितृ को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर उनका श्राद्ध करते हैं, उनके समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं। जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है उनके लिए पितृ पक्ष में कुछ विशेष तिथियां भी निर्धारित की गई हैं, जिस दिन वे अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।

 

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