सहस्रार्जुन जयंती आज, इस विधि से करें पूजा होगा सभी दुखों का अंत

सहस्रार्जुन जयंती आज, इस विधि से करें पूजा होगा सभी दुखों का अंत

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-23 04:20 GMT
सहस्रार्जुन जयंती आज, इस विधि से करें पूजा होगा सभी दुखों का अंत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सहस्रार्जुन जयंती कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन हर साल मनाई जाती है। इस वर्ष यह 27 अक्टूबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। सहस्रार्जुन भगवान विष्णु के 24वें अवतार माने जाते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को इस दिन को पूरे दिन व्रत रखकर उत्सव की भांति मनाया जाता है। महाभारत से लेकर वेदों व पुराणों तक में भगवान विष्णु के इस अवतार का उल्लेख मिलता है। 

पुराणों में वर्णित जन्म कथा 

हैहयवंशीय महाराज कार्तवीर्य अर्जुन को ही सहस्रार्जुन के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में सुबह के समय हुआ था। भागवत पुराण में इनकी जन्मकथा के संबंध में दिया गया है। जिसका वाचन स्वयं श्रीहरि ने माता लक्ष्मी के साथ किया है। इनके नाम से सहस्रार्जुन पुराण भी है। श्रीहरि का अवतार होने की वजह से इन्हें उपास्या देवता मानकर पूजा जाता है।

12 हजार वर्ष तक तपस्या 

जन्म कथा के संबंध में मत्स्य पुराण में उल्लेख मिलता है कि इसके भविष्यवाणी पहले ही की जा चुकी थी कि हैहय कुल में एक प्रतापी राजा कार्तवीर्य का जन्म होगा, सातों द्रवीपों और समस्त भूमंडल को पोषित करेगा। दिवाली के बाद हर वर्ष कार्तिक माह के सातवें दिन इनकी जयंती के रूप में यह दिन मनाया जाएगा। राजा कृतवीर्य की संतान होने के कारण ही इन्हें कार्तवीर्य अर्जुन कहा गया है। इन्होंने भगवान दत्तात्रेय की कठिन तपस्या करके असीम बल प्राप्त किया था। 

सहस्र बाहु भुजाओं के बल के कारण ही इन्हें सहस्रबाहु अर्जुन कहा जाता है। इन्होंने यह कठिन तप 12 हजार वर्ष तक किया था। सहस्रबाहु अर्जुन का उल्लेख मत्स्य पुराण के अलावा, कालिका पुराण, हरिवंश पुराण, वायु पुराण में भी मिलता है। इन पुराणों में इन्हें अतिशक्तिशाली और दानवीर बताया गया है। 

पूजा विधि उपवास

कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी के अवसर पर सहस्रार्जुन जयंती के दिन हिंदू धर्म संस्कृति और पूजा-पाठ के अनुसार स्नानादि से निवृत हो कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और दिन में उपवास अथवा फलाहार कर शाम में सहस्रार्जुन का हवन-पूजन करें तथा उनकी कथा सुनें। इस दिन विधि-विधान से सहस्रबाहु की आराधना करने से सभी दुखों का अंत होता है और विभिन्न कठिनाईयों का सामना करने का बल प्राप्त होता है। 

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