कुंडली में बुध और राहु की युति से होता है जड़त्व का निर्माण

कुंडली में बुध और राहु की युति से होता है जड़त्व का निर्माण

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-23 07:53 GMT
कुंडली में बुध और राहु की युति से होता है जड़त्व का निर्माण

डिजिटल डेस्क, भोपाल। बुध और राहु की युति होने से जड़त्व योग बनता है। यह योग जातक को सामन्यतः चालाक बनाता है। यदि इस युति पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक अनेक भाषाओं का ज्ञाता होता है और बड़ी ही चालाकी से अपने कार्यों को सफल कर लेता है।

कुंडली के अलग-अलग भाव में जड़त्व योग

यदि कुंडली के प्रथम भाव में बुध और राहु की युति हो तो यह शरीर को कष्ट देता है। शरीर या चेहरा बिगड़ जाता है, बुद्धि सही से कार्य नहीं करती।

यह योग कुंडली के धन भाव अर्थात दूसरे भाव में हो तो धन की हानी होती है, विवेक में कमी आती है और दाहिने नेत्र में पीड़ा दोता है।

कुंडली के तीसरे भाव में निर्मित होकर ये योग भाई बहन के सुख से वंचित रखता है साथ ही लक्ष्य प्राप्त नहीं करने देता।
 


ये योग कुंडली के चतुर्थ भाव में होने से दुःख दोता है और पशु नहीं पालने देता। हृदय को कमजोर कर देता है और ऐश्वर्य में कमी और अपयश फैलाता है।

पांचवे भाव में ये योग शिक्षा में विघ्न देता है, संतान की हानि करता है, यांत्रिक, या तांत्रिक विधा में निपुणता बनाता है और गर्भधारण शक्ति को कम करता है।

कुंडली के छठवे भाव में ये योग लाइलाज बीमारी देता है। चोरी, सांसर्गिक रोग मामा पक्ष से कष्ट देता है।

सातवें भाव में बनी बुध और राहु की युति जीवन साथी के साथ मतभेद कराती है। काम, कला में हानि होती है साथ ही जातक गुप्त रोग का शिकार  हो जाता है। मुत्राशय में विकार भी ये योग उत्पन्न कराता है।

कुंडली के आठवें भाव में ये योग होता है तो व्यक्ति रिश्वत लेने या देने का काम करता है, ससुराल से लाभ उठाता है और आत्मघात करता है।
 


नवम भाव में ये युति जातक को नास्तिक बनाती है। जल यात्रा के दौरान जातक हानि प्राप्त करता है, जातक संपन्न तो बनता है पर उदारता, दान-धर्म, से दूर रहता है।

कुंडली के दसवें भाव में जड़त्व का निर्माण होने से जातक नीतिगत फैसले लेने में अपने आपको असफल पाता है, दयालू स्वभाव होने के बाद भी जीवन में कष्ट पाता है और अपने अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाता।

ग्यारहवें भाव में ये योग अनावश्यक खर्च देता है, लॉटरी में हानि प्राप्त करता है, मित्रों से धोखा मिलता है पर आकस्मिक धन लाभ प्राप्त करता है।

कुंडली के बारहवें भाव में ये युति शैय्या सुख में कमी करती है, नेत्र में कष्ट, दुराचारी धन बरबाद करने की प्रवृति देती है।

इस प्रकार विभिन्न भावों में जड़त्व योग अशुभ ही परिणाम देता है, पर गुरु की इस योग पर दृष्टि होने से राहत की अपेक्षा की जा सकती है। यदि बुध अस्त न होकर केन्द्रेश या त्रिकोणेश होकर केन्द्र या त्रिकोण पर जड़त्व योग बनाए तो यह योग राजयोग कारक होता है और जातक बड़ी चालाकी से अपने समस्त कार्यो को संपादित करता हुआ सफलता के शिखर पर पहुँच जाता है।

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