इसलिए गुड़ी पड़वा को कहा जाता है हिंदुओं का नव वर्ष  

इसलिए गुड़ी पड़वा को कहा जाता है हिंदुओं का नव वर्ष  

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-07 07:14 GMT
इसलिए गुड़ी पड़वा को कहा जाता है हिंदुओं का नव वर्ष  

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। दुनिया में कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं और सभी अपनी मान्यताओं के मुताबिक अपना नया साल मनाते हैं। वैसे तो ईसाइयों के ग्रेगोरियन कैंलेडर को अंतर्राष्ट्रीय कैंलेडर के तौर पर मान्यता मिली हुई है लेकिन विश्व के कई हिस्सों में अलग-अलग तिथियों पर नव वर्ष मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नया साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन को महाराष्ट्र में "गुड़ी पड़वा", आंध्र प्रदेश और कर्नाटका में "उगादि" और सिंध में "चेती चांद" के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है। 

 

 

इसी दिन हुआ था सृष्टि का सृजन

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस पर्व पर ब्रह्मा और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के मुख्य देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का ही नहीं, बल्कि रोगों और उनके उपचारों तक का पूजन किया जाता है। 

घरों को आम के पत्तों के तोरण से सजाया जाता है 

आंध्र प्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र के घरों में इस त्योहार पर घर के मुख्य द्वार को आम के तोरण से सजाया जाता है। ये आपके सुखी जीवन और अच्छी फसल का परिचय देता है। ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग‘ की रचना की थी। 

 
"गुड़ी" का अर्थ है "विजय पताका" 

कहा जाता है कि शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिए और इस सेना की मदद से उसने अपने शत्रुओं की शक्तिशाली सेना को पराजित कर दिया। इस विजय के प्रतीक के रूप में "शालिवाहन शक" का प्रारंभ हुआ।

इसलिए पड़ा "गुड़ी पड़वा" नाम   
 
कई लोगों की मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने वानर राज बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। बाली के अत्याचारों से मुक्त हुई प्रजा ने उत्साह मनाया और घर-घर ध्वज फहराए। आज भी महाराष्ट्र में हर घर में गुड़िया खड़ी करने की प्रथा प्रचलित है। इसीलिए इस दिन को गुड़ी पर्व नाम दिया गया। इस वर्ष गुड़ी पड़वा 18 मार्च को रविवार के दिन आ रही है। 
  

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