VIDEO: एकादशी पर भगवान विष्णु को कराएं कुंभ स्नान, दोगुना होगा पुण्य

VIDEO: एकादशी पर भगवान विष्णु को कराएं कुंभ स्नान, दोगुना होगा पुण्य

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-14 03:26 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्पन्ना एकादशी मंगलवार 14 नवंबर को मनाई जा रही है। मान्यता है कि इसी दिन एकादशी देवी का जन्म हुआ था जिसके बाद से व्रत की परंपरा प्रारंभ हुई और मोक्ष और पुण्य की कामना से लोग इस व्रत को धारण करने लगे।

 

पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि देवी एकादशी ने भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न होकर मूर नामक राक्षस से उनकी रक्षा की थी। दैत्य भगवान विष्णु का वध करने आया था किंतु आराम की मुद्रा से जब उनकी आंख खुली तो मुर मृत पड़ा था। इसी से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी को एकादशी नाम दिया। और विष्णु के शरीर से उत्पन्न होने के कारण ही इस दिन को उत्पन्ना एकादशी कहा जाने लगा। यही वजह साल में पड़ने वाली 24 एकादशी व्रतों में इस दिन का सर्वाधिक महत्व है। इसे मार्गशीर्ष एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां हम आपको व्रत से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं....

 


खास-खास

-इस दिन भगवान विष्णु को कुंभ से स्नान कराने का अति महत्व है। ऐसी मान्यता है कि कुंभ से स्नान कराने पर श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और इनके साथ ही देवी एकादशी का भी वरदान प्राप्त होता है। 
-पुराणों में ये व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। सन्यासी विधवा या मोक्ष की कामना करने वालों को यह व्रत अवश्य ही करना चाहिए। 
-इस व्रत को धारण करने से कन्यादान से ज्यादा और अश्वमेध यज्ञ से सौ गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। 
-यह व्रत निर्जला ही धारण करना चाहिए। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता। 
-यह व्रत पूरे परिवार के साथ रखा जा सकता, लेकिन स्मरण रहे कि इसके पारण में विधि-विधान का पूर्णतः पालन करें। 
-पवित्र नदी में स्नान के बाद व्रत का पारण दिनभर करें और इस दिन गरीबों व असहायों को दान अवश्य दें। इस दिन साधु या भूखे को भोजन कराने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।

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