विनायकी चतुर्थी आज, यहां जानें व्रत और पूजा विधि...
विनायकी चतुर्थी आज, यहां जानें व्रत और पूजा विधि...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है जबकि यदि यह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है तो उसे संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। दोनों ही चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को समर्पित हैं। क्योंकि विनायक संकटहारी दोनों ही गणपति बप्पा के ही रूप हैं। इस वर्ष यह 22 दिसंबर शुक्रवार को है।
चतुर्थी का विशेष दिन
यही संकष्टी चतुर्थी जब मंगलवार को पड़ती है तो उसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन है। जो भी भक्त पूरा दिन विधि-विधान से व्रत धारण कर गणपति बप्पा की आराधना करता है उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
दोपहर में पूजा का विधान
अन्य अवसरों की बजाए इस दिन गणपति पूजन का विधान अपरान्ह अर्थात दोपहर में है। आर्थिक सुख, समृद्धि और बुद्धि के लिए गणपति का पूजन इस चतुर्थी पर किया जाता है। पुराणों में ऐसा वर्णित है कि भगवान गणेश का जन्म दोपहर में हुआ था इसलिए उनका पूजन इस दिन दोपहर में करना ही लाभकारी होता है।
संकट दूर होंगे, ऐसे करें पूजन
सबसे पहले सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें। वैसे ये आपके सामर्थ्य पर निर्भर है आप मिट्टी की गणेश प्रतिमा का पूजन भी कर सकते हैं। बप्पा को सिंदूर, दूर्वा, पुष्प अर्पित कर मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। उसके पश्चात गणेश आरती करें। संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ पूजन के दौरान अवश्य करें। इससे आपके सभी संकट दूर होंगे।
करें इन मंत्रों का जप
ॐ गं गणपतयै नम: अत्यंत ही चमत्कारी मंत्र माना गया है। अतः सुबह स्नान से लेकर पूजन तक इस मंत्र का जप किया जा सकता है। ॐ गणेशाय नम: यह मंत्र भी समस्त इंद्रियाें को जाग्रत करने वाला है। इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान, दक्षिणा एवं ब्राम्हणों को भोजन कराना भी उत्तम बताया गया है।