विनायक चतुर्थी: इस विधि से करें विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

विनायक चतुर्थी: इस विधि से करें विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

Manmohan Prajapati
Update: 2021-05-14 09:33 GMT
विनायक चतुर्थी: इस विधि से करें विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, विनायक चतुर्थी 15 मई दिन शनिवार को है। इस व्रत का अत्यधिक महत्व माना गया है। वैसे तो विघ्न विनायक भगवान श्री गणेश की पूजा बुधवार के दिन की जाती है। इस दिन कई लोग व्रत भी करते हैं, लेकिन माना जाता है कि विनायक चतुर्थी पर व्रत और पूजा से बप्पा जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्री गणेश की पूजा से समस्त कष्टों का नाश होता है। 

विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा गया है। ऐसे में आज भक्त कोरोना महामारी से बचाव की प्रार्थना और उपासना भी विघ्नहर्ता से कर सकते हैं, जो विशेष फल और ऊर्जा प्रदान करेगी। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में साथ ही जानते हैं पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

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शुभ मुहूर्त
विघ्नहर्ता की पूजा के लिए सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 01 बजकर 53 मिनट के मध्य सबसे शुभ समय है। इसके अलावा दिनभर गणपति देव की पूजा आराधना की जा सकती है। 

पूजन विधि
- विनायक चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि करें।
- इसके बाद गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करें।
- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें। 
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं। 
- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं। 
- इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।

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- इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। 
- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।
- इस दिन गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं। 
- इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें। - फिर वैशाख चतुर्थी की कथा सुनें अथवा सुनाएं। 
- गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें।  

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