VIDEO : 'तुलजा भवानी' की चलायमान प्रतिमा, यहां छत्रपति शिवाजी को मिली थी...

VIDEO : 'तुलजा भवानी' की चलायमान प्रतिमा, यहां छत्रपति शिवाजी को मिली थी...

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-26 04:08 GMT
VIDEO : 'तुलजा भवानी' की चलायमान प्रतिमा, यहां छत्रपति शिवाजी को मिली थी...

जिटल डेस्क, तुलजापुर। हर स्थान की अलग-अलग मान्यताएं, भाषा और प्रांत के अनुसार परंपराएं भी बदल जाती हैं। आज हम आपको तुलजापुर की मां तुलजा भवानी से जुड़े रोचक फैक्ट्स बताने जा रहे हैं। यह मंदिर  महाराष्ट्र के प्रमुख साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक बताया जाता है। इसकी मान्यता इतनी अधिक है कि सुबह और शाम आरती के वक्त भक्तों का हुजूम लग जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शिवाजी महाराज को खुद देवी मां ने साक्षात दर्शन देकर इसी स्थान पर तलवार प्रदान की थी, जो कि अब तलवार लंदन के संग्रहालय में रखी हुई है।

तुलजा भवानी की स्वयं-भू प्रतिमा 

अन्य मंदिरों से एकदम अलग महाराष्ट्र के प्राचीन दंडकारण्य वनक्षेत्र में स्थित यमुनांचल पर्वत पर स्थित इस मंदिर की तुलजा भवानी स्वयं-भू बताई जाती हैं। इस मूर्ति की एक और खास बात यह है कि यह मंदिर में स्थायी रूप से स्थापित न होकर चलायमान है। साल में तीन बार इस प्रतिमा के साथ प्रभु महादेव  श्रीयंत्र तथा खंडरदेव की भी प्रदक्षिणापथ पर परिक्रमा करवाई जाती है।

चिंतामणि पत्थर 

इस मंदिर में एक चमत्कारी पत्थर है। जिसे लेकर कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी किसी भी युद्ध से पहले चिंतामणि नामक इस पत्थर के पास अपने प्रश्नों के समाधान के लिए आते थे। बताते हैं कि यह हर प्रश्न का जवाब अब भी देता है। यदि किसी प्रश्न को करने पर जवाब हां में है तो यह अपने आप दाहिनी ओर मुड़ता है और अगर नहीं तो यह बायीं दिशा में मुड़ जाता है। 

चांदी के छल्ले से दर्द गायब 

चमत्कारों से भरे इस मंदिर में चांदी के छल्ले वाले स्तंभों को विशेष माना जाता है। कहते हैं कि सात दिनों तक इन्हें छूने से किसी भी प्रकार का दर्द समाप्त हो जाता है। 

चांदी का पलंग 

गर्भगृह के पास ही चांदी का एक पलंग है, जो माता की निद्रा के लिए है। इस पलंग की विपरीत दिशा में शिवलिंग स्थापित है, जिसे दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मां भवानी व शिव शंकर आमने-सामने बैठे हैं। ठीक इसी प्रकार कलोल तीर्थ में 108 तीर्थों के जल का सम्मिश्रण है।  

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