ऐसे करें नवरात्रि में कन्या पूजन, घर में आएंगी खुशियां ही खुशियां

ऐसे करें नवरात्रि में कन्या पूजन, घर में आएंगी खुशियां ही खुशियां

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-16 11:09 GMT
ऐसे करें नवरात्रि में कन्या पूजन, घर में आएंगी खुशियां ही खुशियां

डिजिटल डेस्क। हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा अलग-अलग रूप में आपके घर में विराजमान रहती हैं। नौ दुर्गा के नौ दिनों में देवी के दर्शन, व्रत और हवन करने के बाद कन्या पूजन का बहुत महत्व है। नवरात्रि में सप्तमी तिथि से कन्या पूजन शुरु होता है, इस दौरान लोग कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर उनकी आवभगत करते हैं। दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर देवियों की तरह आदर सत्कार कर उन्हें कराते हैं। कहा जाता है कि इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं।

क्यों किया जाता है कन्‍या पूजन?
नवरात्रि पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। होम, जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी कन्या पूजन से। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्रि व्रत पूरा होता है। नवरात्रि में कन्याओं को मां का रुप मानकर अपनी शक्ति अनुसार उनका आदर सत्कार कर उन्हें भोज करने के बाद दक्षिणा दी जाती हैं। मां दुर्गा अपने भक्त की कन्याओं की पूजा और सत्कार से प्रसन्न हो जाती हैं। 

सप्तमी,अष्टमी या नवमी में किसी दिन करें कन्या पूजन
नवरात्रि में कई लोग सप्‍तमी से कन्‍या पूजन शुरू कर देते हैं, लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं, वह तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्‍या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं। शास्‍त्रों में कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्‍टमी के दिन को सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण और शुभ माना गया है।

कन्या पूजन की विधि
1. जिस भी दिन कन्या भोज रखें, उससे एक दिन पहले ही भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को आमंत्रित कर दें।
2. ध्यान रखें, कन्या भोज के लिए आप 10 वर्ष तक की कन्याओं को ही आमंत्रित करें, कन्याओं के साथ एक बालक को भी आमंत्रित करें।
2. कन्या पूजा के दिन अपनी शक्ति अनुसार कन्याओं का घर में आदर सत्कार करें। 
3. कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीर्वाद लें।
5. इसके बाद कन्याओं को अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं, चाहे तो पैरों में माहवार भी लगा सकते हैं।
6. कन्याओं को भोजन परोसने से पहले मां दुर्गा का भोग लगाना चाहिए और फिर इसके बाद प्रसाद स्वरूप में कन्याओं को उसे खिलाना चाहिए।
7. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें।
8. सभी कन्याओं का दोबारा पैर छूकर आशीर्वाद लें। 
9. इसके बाद सभी कन्याओं को प्रेम पूर्वक इसी मनोकामना से विदा करें, कि हे मां हर साल इन कन्याओं के रुप में हमारे घर में ऐसे ही पधारती रहना। 

कन्या भोज में कितनी कन्याएं जरुरी ?
नवरात्रि में कन्या भोज के लिए कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या ज्यादा से ज्यादा कितनी भी हो सकती है, लेकिन कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है। जिस तरह से मां की पूजा भैरव के बिना पूरी नहीं होती, उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है। 

किस उम्र की कन्या भोज से क्या मिलता है फल?
-नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है।
-दो वर्ष की कन्या के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं।
-तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है। त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
-चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है, इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है।
-पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है।रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
-छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है।कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
-सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है। चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
-आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है, इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।
-नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं।
-दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता"
यह श्लोक आपने कई बार सुना होगा, लेकिन यही सच है, शास्त्रों में लिखा गया है कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है, वहां भगवान खुद वास करते हैं। हम सबको सिर्फ नवरात्रि में महिलाओं कन्याओं का सम्मान नहीं करना चाहिए बल्कि जीवन भर नारी का सम्मान जीवन को सुखद बना सकता है। 

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