योगिनी एकादशी: इस व्रत से मिलेगा 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना फल, जानें पूजा विधि

योगिनी एकादशी: इस व्रत से मिलेगा 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना फल, जानें पूजा विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2021-07-05 05:29 GMT
योगिनी एकादशी: इस व्रत से मिलेगा 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना फल, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है, जो कि कई बार अलग नामों से भी जानी जाती है। आषाढ़ मास की एकादशी को "योगिनी" अथवा "शयनी" एकादशी कहा गया है। यह एकादशी आज यानी कि सोमवार 05 जुलाई को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से कृपा हमेशा बनी रहती है। योगिनी एकादशी का व्रत नियम और निष्ठा के साथ करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान फल की प्राप्ति होती है।

योगिनी एकादशी व्रतकथा पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में प्राप्त होती है। इस व्रतकथा के वक्ता श्रीकृष्ण एवं मार्कण्डेय हैं। श्रोता युधिष्ठिर एवं हेम माली हैं। जब युधिष्ठिर आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम एवं महत्त्व पूछते हैं, तब वासुदेव जी इस कथा को कहते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में...

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दान का महत्व
दान सदा ही पुण्यफलदायक होता है। शास्त्रानुसार किसी भी प्रकार का दान करते समय ब्राह्मण को या योग्य पात्र को दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए। अत: इस व्रत को करने से लोक और परलोक दोनों सवर जाते हैं।

व्रत व पूजा विधि 
- योगिनी एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। 
- व्रती को दशमी तिथि की रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए। 
- जातक को ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें, हो सके तो जमीन पर ही सोएं। 
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्म, स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें। 
- कुंभ स्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रख उनकी पूजा करें। 

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- भगवान नारायण की प्रतिमा को स्नानादि करवाकर भोग लगाएं। 
- इसके बाद पुष्प, धूप, दीप आदि से आरती उतारें। 
- दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरुर सुननी चाहिए। 
- पीपल के वृक्ष की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिए। 
- रात्रि में जागरण करना भी अवश्य करना चाहिए। 
- इस दिन दुर्व्यसनों से भी दूर रहना चाहिए और सात्विक जीवन जीना चाहिए।

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