Ram Navami 2024: रामनवमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग, मर्यादा पुरुषोत्तम की इस मुहूर्त में करें पूजा

  • इस दिन गजकेसरी योग बन रहा है
  • पूरे दिन रवि योग का शुभ संयोग बना है
  • इस दिन अश्‍लेषा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक है

Manmohan Prajapati
Update: 2024-04-16 11:00 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिए हर युग में अवतार धारण किए। इन्हीं में एक अवतार उन्होंने भगवान श्री राम के रूप में लिया था। भगवान राम श्री हरि विष्णु का सातवां अवतार थे। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। ऐसे में हर वर्ष इस तिथि को रामनवमी (Ram Navami) का पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है।

इस वर्ष राम नवमी का पावन पर्व 17 अप्रैल 2024, बुधवार को मनाया जाएगा। राम नवमी के दिन मां दुर्गा के नवें रूप महागौरी की पूजा के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा की जाती है। इसी के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन होता है। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में...

बन रहा है विशेष संयोग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष रामनवमी के मौके पर बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है। माना जा रहा है कि ऐसा योग श्री राम के जन्म के समय बना था। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में होंगे, जिससे कर्क लग्न बन रहा है। वहीं रामनवमी के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होने के साथ दशम भाव में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा गजकेसरी योग बन रहा है। पुराणों के अनुसार, श्री राम के जन्म की समय उनकी कुंडली में गजकेसरी योग भी था। इसके अलावा राम नवमी पर इस बार पूरे दिन रवि योग का शुभ संयोग बना है। साथ ही इस दिन आश्‍लेषा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक है।

रामनवमी शुभ मुहूर्त:

नवमी तिथि प्रारम्भ: 16 अप्रैल को दोपहर में 1 बजकर 23 मिनट से

नवमी तिथि समापन: 17 अप्रैल को दोपहर में 3 बजकर 14 मिनट तक

पूजा मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक

श्रीराम नवमी पूजा विधि

- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।

- इसके बाद भगवान राम का नाम लेते हुए व्रत का संकल्‍प लें।

- फिर घर के मंदिर में राम दरबार की तस्‍वीर या मूर्ति की स्‍थापना कर उसमें गंगाजल छिड़कें।

- तस्‍वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर रखें।

- इसके बाद रामलला की मूर्ति को पालने में बैठाएं।

- अब रामलला को स्‍नान कराकर वस्‍त्र और पाला पहनाएं।

- इसके बाद रामलला को फल, मेवे और मिठाई अर्पित करें।

- श्री राम को खीर का भोग लगाएं।

- अब रामलला को झूला झुलाएं।

- इसके बाद धूप-बत्ती से उनकी आरती उतारें।

- आरती के बाद रामायण और राम रक्षास्‍त्रोत का पाठ करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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