2014 से 2021 के बीच 122 छात्रों ने की आत्महत्या

धर्मेंद्र प्रधान 2014 से 2021 के बीच 122 छात्रों ने की आत्महत्या

IANS News
Update: 2021-12-20 18:00 GMT
2014 से 2021 के बीच 122 छात्रों ने की आत्महत्या

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते कुछ वर्षों के दौरान देश भर के आईआईटी, आईआईएम एवं विभिन्न प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुल 122 छात्रों ने आत्महत्या की है। सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने यह जानकारी लोकसभा के समक्ष रखी। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वर्ष 2014 से 2021 के बीच इन 122 छात्रों आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले 122 छात्रों में से 24 छात्र अनुसूचित जाति, 41 छात्र ओबीसी, तीन अनुसूचित जनजाति और तीन छात्र अल्पसंख्यक वर्ग से थे।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों से जुड़े हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय सबसे अधिक 37 छात्रों ने वर्ष 2014 से 2021 के बीच आत्महत्या की है। वहीं दूसरे नंबर पर अलग-अलग आईआईटी से संबंध रखने वाले 34 छात्रों ने वर्ष 2014 से 2021 के बीच आत्महत्या की है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी एनआईटी के 30 छात्रों ने इस अवधि के दौरान आत्महत्या की।

भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर और आईआईएसईआर के 9 छात्रों ने वर्ष 2014 से 2021 के बीच आत्महत्या की है। आईआईएम के 5 छात्रों ने आत्महत्या की है। ट्रिपल आईटी के चार छात्रों और एनआईटीआईई मुंबई के तीन 3 छात्रों ने इस अवधि में आत्महत्या की है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि छात्र उत्पीड़न और भेदभाव संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान (यूजीसी) द्वारा कई पहल की गई है। छात्रों के हितों की रक्षा के लिए यूजीसी विनियम 2019 बनाया गया है। इसके अतिरिक्त शिक्षा मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने हेतु छात्रों के लिए पीयर लनिर्ंग असिस्टेंट, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरूआत जैसे कई कदम उठाए हैं।

इसके अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मनोदर्पण नामक भारत सरकार की पहल के अंतर्गत कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद छात्रों शिक्षकों और उनके परिवारों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण हेतु मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद को बताया कि इसके अलावा भी छात्रों के समग्र व्यक्तित्व विकास और तनावग्रस्त छात्रों के लिए छात्र काउंसलर की नियुक्ति की गई है। छात्रों की प्रसन्नता और समृद्धि पर कार्यशाला, सेमिनार, नियमित योग सत्र आदि आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अलावा छात्रों, वार्डन और केयरटेकर को छात्रों में तनाव के लक्षणों को नोटिस करने के प्रति संवेदनशील बनाया जा रहा है, ताकि ऐसे छात्रों को समय पर चिकित्सीय परामर्श प्रदान किया जा सके।

(आईएएनएस)

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