जानिए, केंद्रीय विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थान क्यों करेंगे पीजी डिग्री कार्यक्रम को प्रोत्साहित

एमटेक प्लानिंग जानिए, केंद्रीय विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थान क्यों करेंगे पीजी डिग्री कार्यक्रम को प्रोत्साहित

IANS News
Update: 2021-09-16 17:00 GMT
जानिए, केंद्रीय विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थान क्यों करेंगे पीजी डिग्री कार्यक्रम को प्रोत्साहित
हाईलाइट
  • देश में योजनाकारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एमटेक प्लानिंग पाठ्यक्रम

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थान देश में योजनाकारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एमटेक प्लानिंग के तहत पीजी डिग्री कार्यक्रम को प्रोत्साहित करेंगे। भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषय पर नीति आयोग ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव व अन्य महकमों के सहयोग से एक रिपोर्ट तैयार की है। इसके जरिए भारत में शहरी नियोजन क्षमता बढ़ाने का उद्देश्य है। इसी के अन्तर्गत योजनाकारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एमटेक पाठ्यक्रम की बात कही गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक सभी राज्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों को चरणबद्ध तरीके से देश में योजनाकारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम (एमटेक योजना) की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। रिपोर्ट यह भी सिफारिश करती है कि ऐसे सभी संस्थान ग्रामीण विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और संबंधित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों व निदेशालयों के साथ तालमेल बिठाएं और ग्रामीण क्षेत्र नियोजन पर मांग-संचालित अल्पकालिक कार्यक्रम विकसित करें।

नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण, आवास, परिवहन, बुनियादी ढांचे, रसद, ग्रामीण क्षेत्र, क्षेत्रीय, आदि जैसे सभी विशेषज्ञताओं सहित या ऑल इंडिया तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा अनुमोदित विषय इसमें शामिल हैं। इन शैक्षणिक नियोजनो को राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों के तहत एक अनुशासित पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। शिक्षण संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय का रैंकिंग फ्रेमवर्क एनआईआरएफ है।

इस रिपोर्ट को नीति आयोग द्वारा संबंधित मंत्रालयों और शहरी और क्षेत्रीय योजना के क्षेत्र में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के परामर्श से विकसित किया गया है। यह 9 महीने की अवधि में किए गए व्यापक विचार-विमर्श और परामर्श का एक संक्षिप्त परिणाम प्रस्तुत करता है।

(आईएएनएस)

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