बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक गणित में एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू

उत्तर प्रदेश बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक गणित में एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू

IANS News
Update: 2022-01-20 10:00 GMT
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक गणित में एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अब वैदिक गणित को महत्व दिया जा रहा है। इसी के मद्देनजर यहां बीएचयू ने वैदिक गणित में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा वैदिक गणित में करवाया जा रहा यह डिप्लोमा ऑनलाइन क्लासेस पर उपलब्ध है। छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से वैदिक गणित की शिक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मुताबिक वेदिक विज्ञान केंद्र की ओर से वैदिक गणित में डिप्लोमा का यह पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। ऑनलाइन माध्यम से छात्रों के लिए कक्षाएं भी प्रारंभ कर दी गई है। बीएचयू में एचओडी व जाने-माने गणितज्ञ प्रशांत शर्मा के मुताबिक वैदिक गणित में 304 महत्वपूर्ण सूत्र हैं, जिनके माध्यम से कई अनसुलझे पहलुओं का समाधान खोजा जा सकता है।

देश के विख्यात केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शुमार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मुताबिक वैदिक गणित में शुरू किया गया यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम 1 वर्ष की अवधि का है। पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक उत्पन्न करने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एमए इन हिन्दू स्टडीज, हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम शुरू भी किया गया है। यह कार्यक्रम 18 जनवरी मंगलवार से ही प्रारंभ किया गया है। बीएचयू ने इसे महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताया है। इसका सूत्र 18वीं सदी के विद्वान पं. गंगानाथ झा से प्रारम्भ होते हुए महामना मालवीय जी की संकल्पना में रूपांतरित होता है।

यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार संचालित किया जा रहा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफेसर विजय कुमार शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम को महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताते हुए इसकी महत्ता को रेखांकित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के निदेशक डॉ. विजय शंकर शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम के महत्व को स्थापित करते हुए बताया कि इसका सूत्र 18वीं सदी के विद्वान पं. गंगानाथ झा से प्रारम्भ होते हुए महामना मालवीय जी की संकल्पना में रूपांतरित होता है लेकिन किन्हीं कारणों से यह क्रम टूट गया था जो आज इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूर्णता को प्राप्त हो रहा है। महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति एवं भारत अध्ययन केन्द्र के शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दू धर्म में ऋत, व्रत, सत्य आदि धर्म के ही पर्याय हैं। हिन्दू अध्ययन का यह पाठ्यक्रम इनको अद्यतन संदर्भों से जोड़ने का उपक्रम है। हिन्दू धर्म सतत गतिशील युक्तिपूर्ण एवं एक वैज्ञानिक पद्धति है।

(आईएएनएस)

Tags:    

Similar News