Research: भारतीय चाहते हैं अच्छी नींद, 55 प्रतिशत लोगों को नहीं आती नींद

Research: भारतीय चाहते हैं अच्छी नींद, 55 प्रतिशत लोगों को नहीं आती नींद

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-17 07:35 GMT
Research: भारतीय चाहते हैं अच्छी नींद, 55 प्रतिशत लोगों को नहीं आती नींद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे बिजी शेड्यूल के चलते हम अपनी सेहत पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते। जिसके चलते हम कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। नींद नहीं आना भी उन्हीं बीमारियों में से एक है। इस विषय पर आईटी सेक्टर की अग्रणी कंपनी रॉयल फिलिप्स ने एक सर्वे किया। इस सर्वे में भारत के संबंध में निम्न आकड़े सामने आए। सर्वे के परिणामों को हाल ही में जारी किया गया। लगभग 73 प्रतिशत भारतीयों ने नींद में सुधार की इच्छा व्यक्त की। 

इतने लोगों पर किया गया सर्वे
इस सर्वे को "द ग्लोबल परसूट ऑफ बेटर स्लीप हेल्थ"शीर्षक दिया गया। फिलिप्स द्वारा किए गए इस सर्वे को केजीटी ग्रुप द्वारा लीड किया गया। सर्वे के तहत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, भारत, सिंगापुर, फ्रांस, जर्मनी, जापान, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के 11,006 लोगों का इंटरव्यू लिया गया। इस सर्वे में 55 प्रतिशत लोगोंं ने स्वीकारा की उन्हें अच्छी नींद नहीं आती। काम की व्यस्थता के चलते वे ठीक से सो नहीं पाते। वहीं 73 प्रतिशत लोगों ने नींद की गुणवत्ता सुधारने की इच्छा जाहिर की। 

ये नतीजे आए सामने
इस दौरान पता चला कि भारतीय अपनी नींद और उससे जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक हुए हैं। लोगों का मानना है कि अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद जरूरी है। 38 प्रतिशत लोगों का कहना है कि पिछले पांच सालों में उनकी नींद में सुधार हुआ है। वहीं 24 प्रतिशत लोग अच्छी नींद के लिए सोशल मीडिया व आनलाइन मंचों से जानकारी प्राप्त करते हैं। वहीं 31 प्रतिशत लोग अपनी नींद सुधारने का प्रयास करते हैं। वहीं अगर अच्छी नींद के महत्व के बारे में बात की जाए तो नींद का महत्त्व मुंबई (84 फीसदी), बेंगलुरु (88 फीसदी) और लखनऊ (70 फीसदी) के मुकाबले सबसे कम दिल्ली (47 प्रतिशत) में देखने को मिला। 

सर्वे प्रमुख के अनुसार 
फिलिप्स इंडिया के प्रमुख (नींद एवं श्वसन देखभाल) हरीश आर ने इस सर्वे को लेकर बताया कि "नतीजे बताते हैं कि भारतीय अपर्याप्त नींद को संभावित स्वास्थ्य समस्या मानते हैं लेकिन नींद संबंधी बीमारियों और मेडिकल ट्रीटमेंट के बारे में उनमें जागरूकता अब भी कम है।" कंपनी प्रमुख ने बताया कि नींद की कम जागरूकता देखते हुए। भारतीय बाजारों ने नींद संबंधी बीमारियों के प्रति अपने जागरूकता अभियानों को मजबूती दी है। वहीं कंपनी मरीजों को उन्नत समाधान उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

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