गूगल ग्लास की मदद से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे जिएंगे एक नई जिंदगी

गूगल ग्लास की मदद से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे जिएंगे एक नई जिंदगी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-19 07:21 GMT
गूगल ग्लास की मदद से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे जिएंगे एक नई जिंदगी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्वलीनता यानि कि (ऑटिज़्म) यह मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है। इसका शिकार बच्चा आम बच्चों से असामान्य लक्षण दिखाता है। हालांकि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में एक खासियत जरूर देखी गई है कि ऐसे बच्चों में कोई कोई एक स्किल बहुत स्ट्रॉन्ग होती है। इस विकार के लक्षण बच्चे में बचपन से ही दिखने लगते हैं। ऑटिज़्म होने का कोई एक कारण नहीं खोजा जा सका है।

 

डॉक्टरों के अनुसार, ऑटिज़्म होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होना, मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता, गर्भ में बच्चे का विकास सही रूप से न हो पाना आदि। जानकारी के अनुसार जल्द ही गूगल ग्लास की मदद से इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सामान्य सामाजिक जीवन जी पाएंगे। इस उपकरण की सहायता से ऐसे बच्चों को लोगों से कनेक्ट होने में मदद मिलेगी।

 

बता दें कि कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स मुख्यालय वाली कंपनी ने ऑटिज्म के शिकार बच्चों के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जो गूगल ग्लास पर चलेगी। जानकारी के अनुसार, न्यूसाइंस-आधारित ऑगमेटेंड रियलिटी ब्रेन पॉवर ने इस महीने "एम्पॉवर मी" प्रणाली लॉन्च की थी। यह प्रणाली एक डिजिटल कोच है, जो स्मार्टग्लास पर चलती है। इसकी सहायता से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चें और कुछ वयस्क सामाजिक और संज्ञानात्मक कौशल सीखते हैं। बताया जा रहा है कि इसका रिजल्ट भी अच्छा है।

 

इसमें गूगल का नया ग्लास एंटरप्राइज एडिशन भी शामिल है। कंपनी के अनुसार गूगल ग्लास इसलिए यूज किया गया कि इसे चश्में की तरह पहना जा सकता है और इसकी सहायता से ऑटिज्म पीड़ित बच्चा बड़े आराम से किसी से भी कम्यूनिकेट कर सकता है। ब्रेन पॉवर के सीईओ ने नीड साहिन का कहना है कि इस तकनीक से लोगों को सशक्त बनाना मेरा लक्ष्य है। हालांकि कहा जाता है कि तकनीक लोगों का संपर्क समाज से काट देती है, लेकिन मेरा लक्ष्य तकनीक और विज्ञान के इस्तेमाल से ऐसे बच्चों को सामाजिक रुप से सक्रीय बनाना है। 

 

क्या होते हैं लक्षण

 
सामान्य बच्चे अपनी मां का चेहरा देखते हैं व उसके हाव-भाव को समझने की कोशिश करतें है, लेकिन ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चे नज़र मिलाने से कतराते हैं।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे आवाजों पर ध्यान नहीं देते, जिससे लगता है कि वह बहरें हैं। 
ऑटिस्टिक बच्चे कुछ भी बोलते बोलते अचानक ही बोलना बंद कर देते हैं। 
ऑटिस्टिक बच्चे या तो बहुत चंचल या बहुत सुस्त रहते हैं, किसी एक कला में निपुण भी होते हैं।
ऑटिस्टिक बच्चे अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा एक ही क्रिया को कई बार दोहराता है।
ऐसे बच्चों को खिलौने के साथ खेलने में दिलचस्पी नहीं होती बल्कि वे खिलौनों को सूंघते या चाटते हैं।

  

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