इस समर वेकेशन इन जगहों पर परिवार के साथ बिताएं क्वॉलिटी टाइम
इस समर वेकेशन इन जगहों पर परिवार के साथ बिताएं क्वॉलिटी टाइम
डिजिटल डेस्क । बोर्ड एग्जाम चल रहे हैं, लेकिन छोटे बच्चों के एग्जाम लगभग खत्म हो गए हैं। मार्च खत्म होने तक सभी बच्चे परीक्षाओं के बोझ से फुर्सत हो जाएंगे। फिर शुरू होगी छुट्टियां मनाने की प्लानिंग। सभी मां-बाप के लिए अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने और घर की परेशानियों से दूर जाने के लिए समर वेकेशन सबसे वक्त होता है। सभी सारी टेंश्नस से दूर रहते हैं। कामकाजी लोग टैक्स भर कर फूर्सत होते हैं और बच्चो को कुछ वक्त के लिए स्कूल, किताबों और पढ़ाई से दूर रहने का वक्त मिल जाता है। अब अगर इन छुट्टियों में एक छोटा-सा ब्रेक लेकर परिवार के साथ कहीं घूमने निकल जाएं तो क्या बात है! लेकिन बेहतर है कि इन छुट्टियों की प्लानिंग अभी से कर ली जाए ताकि आपको टिकट और होटल बुकिंग्स में बेहतर डील मिल सके। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कुछ बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट्स के बारे में जहां आप परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम बिता सकते हैं।
मैक्लॉडगंज, धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)
अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं तो अपने परिवार को मैक्लॉडगंज और धर्मशाला की सैर करवा सकते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है हिमाचल प्रदेश की वादियां जहां पहुंचकर बच्चों के साथ ही बड़ों का मन भी खुश हो जाता है। यहां आप बौद्ध मॉनेस्ट्री, खूबसूरत लैंडस्केप, पहाड़, झरने, लोक जीवन और हिमाचली खाने का लुत्फ उठा सकते हैं।
मैक्लॉडगंज, धर्मशाला पहुंचने के लिए हिमाचल परिवहन की वॉल्वो बस चलती है। रात भर की यह बस सेवा आपको बड़े आराम से सुबह-सुबह धर्मशाला पहुंचा देगी। ट्रेन से धर्मशाला जाना चाहते हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जो धर्मशाला से 85 किलोमीटर दूर है।
यहां हर बजट के होटल उपलब्ध हैं। अगर आप थोड़ी बचत करना चाहते हैं तो होम स्टे भी ट्राई कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको यहां के लोकल लोगों से रूबरू होने और उनके कल्चर को समझने का मौका भी मिलेगा। आजकल ट्रैवेलर्स हॉस्टल भी बहुत ट्रेंड में हैं। यहां आप डॉरमेट्री से लेकर सिंगल रूम तक सस्ते रेट पर ले सकते हैं।
हिमाचल में अच्छी बेकरी और कैफे होते हैं। वहां जरूर जाएं। हिमाचल की ट्राउट मछली भी चखें और मैक्लॉडगंज के बाजार में फ्राइड मोमो जरूर खाएं।
कॉर्बेट नेशनल पार्क, नैनीताल और मसूरी (उत्तराखंड)
अगर आप प्रकृति के नजदीक कुछ वक्त गुजारना चाहते हैं तो उत्तराखंड जाएं। कुमाऊं की पहाड़ियां गर्मियों में बड़ी राहत देने वाली होती हैं। दिल्ली से कॉर्बेट नैशनल पार्क तक की दूरी 270 किलोमीटर है, जिसे आराम से कुदरत के नजारों को देखते-देखते रोड ट्रिप के जरिए पूरा किया जा सकता है। शाम होते-होते आप कॉर्बेट नैशनल पार्क पहुंच जाएंगे। अगली सुबह जंगल सफारी करें और आराम करें। इसके अगले दिन नैनीताल पहुंचें। यहां से कुल 80 किलोमीटर की दूरी पर नैनीताल है। यहां आप देख सकते हैं नौकुचियाताल, मल्लीताल, भीमताल, सातताल और खुरपाताल। नैनीताल से ऊपर पहाड़ों की रानी मसूरी है। यहां की हर चीज में कोलोनियल दौर की छाप देखने को मिलती है। यहां आप केम्पटी फॉल, मसूरी फॉल, वन चेतना केंद्र और सुरकंडा देवी मंदिर देख सकते हैं।
उत्तराखंड जाने का सबसे अच्छा तरीका है कि रोड ट्रिप, लेकिन आप अगर कॉर्बेट ट्रेन से जाना जाहते हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है।
कॉर्बेट, नैनीताल और मसूरी इन जगहों पर हर बजट के होटल उपलब्ध हैं। अच्छी बचत के लिए आप कुमाऊं मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस बुक कर सकते हैं, लेकिन अपनी बुकिंग पहले से करा लें, वरना बाद में जगह नहीं मिलेगी।
कुमाऊं में सबसे मशहूर है बाल मिठाई। अगर आप पेस्ट्री और बेकरी आइटम्स के शौकीन हैं तो यहां आपको ढेरों कैफे भी मिल जाएंगे।
कश्मीर (जम्मू-कश्मीर)
इन गर्मियों में आप अपने परिवार को कश्मीर की वादियों में भी ले जा सकते हैं। अगर पहले से बुकिंग करा लेंगे तो आपको फ्लाइट्स पर भी अच्छी डील मिल जाएगी। श्रीनगर में डल लेक, हाउसबोट, मुगल गार्डन, गुलमर्ग में स्नो और पहलगाम में हरी-भरी वादियां के खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं।
कश्मीर तक जाने का सबसे अच्छा साधन है दिल्ली से श्रीनगर की सीधी फ्लाइट। सड़क यात्रा काफी लंबी और थकाने वाली हो सकती है। आप जम्मू तक ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं। आगे की यात्रा सड़क से करनी होगी।
वैसे तो कश्मीर में हर बजट के होटल उपलब्ध है, लेकिन आप कुछ नए जमाने के ट्रैवलर्स हॉस्टल भी ट्राई कर सकते हैं।
अगर आप वेजिटेरियन हैं तो भी चिंता की बात नहीं। आपको यहां बड़े आराम से वेज खाना मिल जाएगा और अगर आप नॉन-वेजिटेरियन हैं तो फिर तो यह आपके लिए जन्नत जैसा है।
मुन्नार, एलेप्पी, कोचीन (केरल)
केरल को "गॉड्स ओन कंट्री" कहा जाता है। केरल की पहचान है यहां के हाउसबोट, बैकवॉटर्स और टी गार्डन। आप कोचीन में बीच और चर्च भी देख सकते हैं और उस जगह पर भी जरूर जाएं जहां वास्को डी गामा ने अपने जीवन की आखिरी सांस ली। स्पाइस मार्केट देखें। फिर कोचीन से 130 किलोमीटर पर मुन्नार की हरी-भरी वादियों में टी गार्डन देखने जाएं। मसालों के बगीचे देखें और फिर जाएं एलेपी। ये छोटा-सा प्राचीन शहर मुन्नार से 168 किमी दूर है। यहां कुछ दिन हाउसबोट मे गुजारें। फोर्ट कोचीन में किसी शाम भरतनाट्यम की लाइव प्रस्तुति जरूर देखें। अगर थोड़ा पहले पहुंचेंगे तो आप कलाकारों को मेकअप करते हुए भी देख सकेंगे।
कोचीन तक आप ट्रेन या प्लेन से पहुंच सकते हैं।
अच्छे बजट होटल्स के अलावा आप नए जमाने के ट्रैवलर्स हॉस्टल भी ट्राई कर सकते हैं।
फोर्ट कोचीन के महात्मा गांधी बीच पर फ्रेश मछली खरीद कर लाइव कुकिंग का मजा जरूर लें।
पूरी दुनिया को मसाला सप्लाई करने वाले राज्य से मसाले और काजू खरीदें।
दमन और दीव
अरब सागर के तट पर बसा दमन 15वीं शताब्दी में पुर्तगालियों की कॉलोनी रहा है इसलिए यहां पुर्तगाली कल्चर की छाप देखने को मिलती है। खूबसूरत बीच और चर्च इस जगह की पहचान हैं। दीव के सेंट पॉल्स चर्च की सफेद इमारत वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। दीव में खास आकर्षण है नैयडा केव्स। ये दूसरी गुफाओं से बिल्कुल अलग हैं। इनके भीतर भरपूर रोशनी पहुंचती है। दीव में ऐतिहासिक महत्व का एक किला भी है।
दमन पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन वापी है और नजदीकी एयरपोर्ट दीव में ही है। मुंबई से 197 किलोमीटर की यह यात्रा रोड से भी की जा सकती है।
दमन और दीव में आपको कई बेहतरीन बीच रिसोर्ट भी मिलते हैं और बजट होटल भी।
पड़ोसी राज्य गुजरात होने के कारण आपको यहां गुजराती खाना खाने को मिलेगा।
कुन्नूर (कर्नाटक)
ऊटी से महज 18 और कोयंबटूर से 32 किलोमीटर दूर यह हिल स्टेशन नीलगिरि की पहाड़ियों के बीच बसा है। यहां वाइल्डलाइफ के अलावा खूबसूरत टी गार्डन भी हैं। यहां आप नीलगिरि माउंटेन रेलवे का भी आनंद ले सकते हैं। चाय के बागानों की दूर तक फैली हरियाली और यहां-वहां डोलते बादलों के टुकड़े आपका मन मोह लेंगे। नीलगिरि माउंटन का सबसे ऊंचा पॉइंट डोडाबेटा भी नजदीक ही है।
यहां से नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर है और यहां ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है।
कुन्नूर की खासियत है हरे-भरे मैदान और चाय के बागान, जिनमें खूबसूरत कोलोनियल स्टाइल के बंगले बने हुए हैं।
कुन्नूर में खाने के लिए कई विकल्प हैं, लेकिन एक बार ला बेला वी जरूर जाएं। कोलोनियल बंगले में बना यह रेस्तरां आपको हमेशा याद रहेगा।
माउंट आबू, राजस्थान
अरावली की पहाड़ियों में बसा शहर माउंट आबू राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है। यहां कई नदियां, झरने और हरे-भरे पहाड़ हैं। यह जगह पर्यटकों के बीच काफी फेमस है। राजस्थान के वैभवपूर्ण इतिहास को समेटे यह शहर अपने मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां का दिलवाड़ा मंदिर बहुत खूबसूरत है।
माउंट आबू पहुंचने के लिए आप रेल से आबू रोड तक जा सकते हैं। आगे 14 किलोमीटर सड़क मार्ग से जाना होगा। नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर 104 किलोमीटर दूर है।
माउंट आबू में आपको हर तरह के बजट होटल्स मिल जाएंगे।
माउंट आबू में वेजिटेरियन थाली, घेवर और मारवाड़ी थाली के अलावा आबू चाट से गोभी पराठा जरूर खाएं।
गंगटोक (सिक्किम)
सिक्किम पूर्वोत्तर का एक खूबसूरत राज्य है, जिसकी राजधानी है गंगटोक। इस छोटे-से पहाड़ी शहर में आपको वह सबकुछ मिलेगा जिससे आपकी छुट्टियां यादगार बन जाएं। यहां पर मशहूर महात्मा गांधी मार्ग है, मॉनेस्ट्री हैं, बंजाखरी वॉटरफॉल है, चांगु लेक है और भारत-चीन बॉर्डर है जिसे हम नाथूला बॉर्डर कहते हैं। गंगटोक में आप अडवेंचर स्पोर्ट्स का मजा ले सकते हैं। गंगटोक शहर के बीचों बीच बना रोप-वे आपको पूरा शहर का 360 डिग्री व्यू दिखाता है।
गंगटोक जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा और नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है। यहां से आगे की यात्रा सड़क से की जा सकती है। आप बागडोगरा से हेलिकॉप्टर में भी गंगटोक पहुंच सकते हैं।
गंगटोक में अगर एक प्राइवेट विला में रहने को मिल जाए तो मजा आ जाए। आप रेनक विला ट्राई कर सकते हैं। यह जगह फिल्म स्टारों और विदेशी पर्यटकों को बहुत भाती है और आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़ेगी।
सिक्किमी फूड में मोमो और थुपका का बड़ा चलन है। जरूर ट्राई करें।