कोरोना काल में गायत्री गौशाला बनी महिलाओं का सबंल

कोरोना काल में गायत्री गौशाला बनी महिलाओं का सबंल

IANS News
Update: 2020-07-18 11:00 GMT
कोरोना काल में गायत्री गौशाला बनी महिलाओं का सबंल
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  • कोरोना काल में गायत्री गौशाला बनी महिलाओं का सबंल

आगरा, 18 जुलाई (आईएएनएस)। कोरोना काल में जहां एक तरफ रोजगार का संकट गहरा रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित गायत्री शक्तिपीठ की माता भगवती गौशाला की गायों का गोबर महिलाओं के लिए सोना साबित हो रहा है। संक्रमण के संकट में यहां की गायों का गोबर महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान करने में बड़ा कारगर सिद्ध हो रहा है।

आगरा के आंवलखेड़ा स्थित अचार्य श्रीराम शर्मा की जन्मभूमि गायत्री शक्तिपीठ की गौशाला का गोबर लेकर दीपक तैयार कर महिलाएं रोजगार की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। कोरोना संक्रमण का प्रसार दिनोंदिन बढ़ रहा है। इसे देखते हुए शक्तिपीठ ने करीब एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं को गोबर के दीपक बनाने का काम सौंपा है। इससे उनकी तकरीबन 400 से 500 रुपये के बीच की आमदनी हो जाती है और उनकी रोजी-रोटी भी बड़े आराम से चल रही है।

गायत्री शक्तिपीठ के प्रबंधक घनश्याम देवांगन ने आईएएनएस को बताया, कोरोना संकट के कारण बहुत सारे कम ठप्प पड़े हैं। ऐसे में हमारे यहां हवन के लिए देशी गाय के गोबर से दीपक बनाने का काम हो रहा है। हमारे गौशाला में गाय-बछड़े मिलाकर 150 संख्या में गौवंश हैं। इससे पर्याप्त मात्रा में गोबर तैयार होता है। गायत्री पीठ के अंतर्गत संचालित सभी स्थानों में गाय के गोबर से बने दीपक से हवन करने में वतावरण शुद्ध होता है। इसके अलावा इसका उपयोग दिवाली में भी किया जाता है।

उन्होंने कहा, इसकी मांग बहुत ज्यादा है। इसे देखते हुए हमने ग्रामीण महिलाओं को इससे जोड़ा है। एक महिला एक दिन में 600 से 700 के बीच दीपक बना लेती है। उसे प्रति दीपक 50 पैसे मिलता है और ज्यादा बनाने पर उनकी आमदानी बढ़ जाती है।

देवांगन ने बताया, देशी गाय से तैयार होने वाले गोमाई दीपक की मांग पूरे देश में है। करीब दो लाख से अधिक दीपक हम खरीद केंद्रों को दे चुके हैं। गुजरात में करीब 1 लाख से ज्यादा गोबर के दीपकभेजे गए हैं। सुल्तानपुर और लखनऊ में 25 हजार और नोएडा में 50 हजार से अधिक भेजे गए हैं। इसी प्रकार राजस्थान के जयपुर में इसकी भारी डिमांड है।

उन्होंने बताया कि यहां गाय के गोबर से दीपक के अलावा गोमय लकड़ी, दीपक, वर्मी कम्पोस्ट और बायोगैस के लिए सिस्टम बना है। गाय के गोबर के रस से कीटनाशक के अलावा पंचगव्य औषाधियां तैयार की जा रही हैं। कई कार्यकर्ता गोकाष्ठ बनाने में भी लगे हैं।

गायत्री शक्तिपीठ में आंवलखेड़ा निवासी उमा देवी, संगीता, गुड्डी देवी, राजकुमारी सहित तामम और भी महिलाओं को रोजगार मिला है।

राजकुमारी ने बताया, लॉकडाउन में मजदूरी बंद हो गई थी। हमें पता चला कि गायत्री शक्तिपीठ में गोबर से दीपक बनाने का काम हो रहा है तो हम अपनी सखियों के साथ इस काम में लग गए हैं। इसमें बड़ी आमदनी है। रोजाना करीब 400 से 500 रुपये की कमाई हो जाती है। इसी पर पूरा परिवार चल रहा है।

वहीं, उमा ने बताया कि गाय के गोबर से दीपक बनाने के काम में आमदनी ठीकठाक है। इससे परिवार चल रहा है। कोरोना महामारी के कारण काफी संकट हो गया था, जिससे अब राहत मिली है।

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