इन शायरियों से दोस्तों-रिश्तेदारों को दें न्यू ईयर की विशेज

इन शायरियों से दोस्तों-रिश्तेदारों को दें न्यू ईयर की विशेज

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-01 04:23 GMT
इन शायरियों से दोस्तों-रिश्तेदारों को दें न्यू ईयर की विशेज

डिजिटल डेस्क। नया साल के इंतजार की घड़िया खत्म हुईं। नया साल नई खुशियां और नई ऊर्जा लिए आपके सामने खड़ा है। नया साल पर नई उम्मीदों, नई आशाओं और नई ऊर्जा के साथ नव वर्ष की शुभकामनाएं संदेश  देने के लिए अगर आप भी तैयार हैं तो आपके लिए हम लाए हैं नए साल की शायरी।  क्योंकि शायरी के जरिए जो बात कही जाए वो सीधे दिल में उतरती है। इसलिए अगर आप भी अपने प्यार का इजहार करना चाहते हैं या घर-परिवार और संबंधों को मजबूती देना चाहते हैं तो नए साल की मुबारकबाद  को शायराना अंदाज में कहें तो सोने पर सुहागा कहा जायेगा, इससे उसकी अहमियत और भी बढ़ जाएगी। इसलिए आप भी संकल्प ले कि नए साल 2019 की बधाई  से नहीं बल्कि नए साल की शायरी  के जरिए रिश्तों में गर्माहट लाएंगे तो नए साल 2019 की शानदार शायरी  के लिए हमारे द्वारा बताये गए शानदार प्यार भरे शेर अपनों को भेजें और सबसे सही बात इसके लिए आपको आपको कहीं जाने की जरुरत नहीं, बल्कि हरिभूमि की स्पेशल स्टोरी नया साल 2019  के लिए लाजवाब शायरी आपके लिए प्रस्तुत है। आप अपनों को नए साल का जश्न के लिए भेजें ये नए साल पर प्यार भरी शायरी।

 

कामयाबी की हर मंजिल आपके नाम हो,  

कामयाबी आपके कदम छुए, 

धैर्य से हर मुश्किल पार हो, 

ऐसा वक्त नया साल हो 

 

रिश्तों की डोर यूं ही संभाले रखना, 

यादों को यूं ही संभाले रखना, 

प्यारा रहा 2018 का सफर 

ऐसा ही 2019 में बनाए रखना 

 

आपकी आंखों में सजे सपने, 

दिल में दबी हर इच्छा,  

हो पूरी आपकी सभी अभिलाषाएं

यही है हमारी शुभकामनाएं!


अब के बार मिल के यूँ साल-ए-नौ मनाएंगे 

रंजिशें भुला कर हम नफ़रतें मिटाएंगे 

अज्ञात


ऐ जाते बरस तुझ को सौंपा ख़ुदा को 

मुबारक मुबारक नया साल सब को 

मोहम्मद असदुल्लाह

 

 

बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर 

जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं 

लाला माधव राम जौहर

 

 

दिसम्बर की शब-ए-आख़िर न पूछो किस तरह गुज़री 

यही लगता था हर दम वो हमें कुछ फूल भेजेगा 

अज्ञात

 

 

देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़ 

इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है 

मिर्ज़ा ग़ालिब

 

 

दुल्हन बनी हुई हैं राहें 

जश्न मनाओ साल-ए-नौ के 

साहिर लुधियानवी

हम लकीरें कुरेद कर देखें 

रंग लाएगा क्या ये साल नया 

आज़िम कोहली

 

 

हर दिसम्बर इसी वहशत में गुज़ारा कि कहीं 

फिर से आँखों में तिरे ख़्वाब न आने लग जाएँ 

रेहाना रूही


इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ 

लो साथ छोड़ने लगा आख़िर ये साल भी 

हफ़ीज़ मेरठी

 

 

इक साल गया इक साल नया है आने को 

पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को 

इब्न-ए-इंशा

 

 

इरादा था जी लूँगा तुझ से बिछड़ कर 

गुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले 

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

 

 

 

इस नए साल के स्वागत के लिए पहले से 

हम ने पोशाक उदासी की सिला के रख ली 

सिदरा सहर इमरान

 

 

कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े 

तेरा मेयार बदलता है निसाबों की तरह 

परवीन शाकिर

 

 

किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाए 

कैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है 

ऐतबार साजिद

 

 

मिरा हाथ देख बरहमना मिरा यार मुझ को मिलेगा कब 

तिरे मुँह से निकले ख़ुदा करे इस साल में इसी माह में 

अज्ञात

 

 

मुबारक मुबारक नया साल आया 

ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया 

अख़्तर शीरानी

 

 

न कोई रंज का लम्हा किसी के पास आए 

ख़ुदा करे कि नया साल सब को रास आए 

अज्ञात

 

 

नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें 

चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें 

अज्ञात

 

 

पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं 

नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है 

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