करण-करीना के बच्चों की प्ले डेट का वीडियो वायरल, जानिए क्या आपके बच्चों को भी है इसकी जरूरत 

करण-करीना के बच्चों की प्ले डेट का वीडियो वायरल, जानिए क्या आपके बच्चों को भी है इसकी जरूरत 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-24 05:53 GMT

डिजिटल डेस्क । प्रोड्यूसर-डायरेक्टर करण जौहर के जुड़वा बच्चे यश और रुही और सैफ-करीना के नवाबजादे तैमूर अली खान अपने पेरेंट्स की तरह फ्रेंडशिप गोल्स सेट कर रहे हैं। ये सेलिब्रिटी बच्चे एक साथ प्ले स्कूल जाते हैं। हाल ही करण जौहर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें तैमूर, यश और रुही कलरफुल बॉल्स में मस्ती करते नजर आ रहे हैं। 

करण ने इन बच्चों की इस मस्ती को "प्ले डेट" का नाम दिया है। वीडियो में तैमूर, रूही और यश तीनों ही मजा करते नजर आ रहे हैं। करण जौहर ने इस वीडियो को खुद ही शूट किया है। वीडियो के आखिर में करीना कपूर की तरफ कैमरा घूमता है तो करीना बच्चों के इस प्ले टाइम में अपनी खाने की प्लेट एंजॉय करती नजर आ रहीं है। इस वीडियो ने सबका दिल जीत लिया है। तीनों बच्चों का ये प्यारा सा वीडियो करण जौहर ने करीब एक घंटे पहले शेयर किया है लेकिन इतने कम समय में ही इसे 3 लाख 25 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका है। 

इन बिजी सेलीब्रिटीज को बच्चों के साथ टाइम स्पेंड करते देख, फैंन्स काफी एप्रीशियट कर रहे हैं। वहीं कई मां-बाप जिनके बच्चे अभी महज डेढ़ से दो साल के हैं, वो भी तैमूर, रुही और यश की तरह प्ले स्कूल में दाखिला करवाना चाह रहे हैं।

शायद कुछ लोगों को इतने छोटे बच्चों को प्ले स्कूल भेजने का आइिया पसंद ना आए, लेकिन यकिन मानिए ये बच्चों के लिए सबसे अच्छा डिसीजन होता है तभी तो सेलिब्रिटीज भी अपने बच्चों को प्ले स्कूल भेज रहे हैं। जमाने के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा का स्तर और उनके स्कूल जाने की उम्र भी बदल गई है। पहले जहां 5 साल के बाद बच्चा स्कूल में पहला कदम रखता था, अब वहीं डेढ़-दो साल की छोटी-सी उम्र में ही पैरेंट्स उसे प्ले स्कूल में भेज रहे हैं। आखिर क्यों कर रहे हैं पैरेंट्स ऐसा? आज हम आपको बच्चों को प्ले स्कूल भेजने के कुछ फायदों के बारे बताएंगे, जिन्हें जान कर आप भी प्ले स्कूल की तलाश शुरू कर देंगे। अपने बच्चों क्यों प्ले स्कूल भेजें? 

घर में प्यार-दुलार की वजह से बच्चे अपनी चीजों के इतने आदी हो जाते हैं कि किसी दूसरे के छूने मात्र से वो रोना या चिल्लाना शुरू कर देते हैं। प्ले स्कूल में एक ही खिलौने से कई बच्चों को खेलते देख और एक ही झूले पर बारी-बारी से दूसरे बच्चों को झूलते देख उनमें समझदारी और शेयरिंग की भावना विकसित होती है।

3 साल तक आपके साथ रहने से बच्चे को आपकी और परिवार की आदत हो जाती है। ऐसे में जब पहली बार उसे आप स्कूल के गेट तक छोड़ने जाती हैं, तो वो आपको छोड़ना नहीं चाहता। आपसे दूर जाने पर वो बहुत रोता है। आपकी दशा भी कुछ ऐसी ही होती है। ऐसे में शुरुआत से ही जब बच्चा आपसे कुछ घंटे ही सही, दूर रहने लगता है, तो वो सेपरेशन ब्लू यानी आपसे दूर जाने की बात को आसानी से सह लेता है।

कम उम्र में ही प्ले स्कूल में जाने से बच्चे में सीखने की प्रवृत्ति बढ़ती है। टीचर द्वारा सिखाए पोएम को वो बार-बार दोहराता है। इससे उसका आधार मजबूत होता है। स्कूल जाने के बाद उसे चीजों को समझने में आसानी होती है।

पैरेंट्स भी यूज टू होते हैं

फर्स्ट टाइम पैरेंट्स बने कपल्स के लिए स्कूल में बच्चे के एडमिशन से लेकर उसे स्कूल भेजने तक का काम किसी चुनौती से कम नहीं होता। बच्चे के साथ उनके लिए भी ये नया अनुभव होता है।ऐसे में कई बार ख़ुद पैरेंट्स ही बच्चों से दूर जाने पर रोने लगते हैं, तो कई स्कूल सही समय पर नहीं पहुंच पाते। प्ले स्कूल के जरिए उन्हें स्कूल के नियम-कानून को समझने में मदद मिलती है।

Similar News