ये मटन बिगाड़ सकता है आपकी सेहत, नॉनवेज पसंद है तो पढ़ें यह खबर

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Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-12 12:55 GMT
ये मटन बिगाड़ सकता है आपकी सेहत, नॉनवेज पसंद है तो पढ़ें यह खबर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर में बिकने वाला बकरे का मांस मांसाहार के शौकीनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। अन्न व औषधि विभाग के हाल ही में शहर के 24 मांस बिक्री की दुकानों का निरीक्षण करने से यह बात उजागर हुई। बकरे काटने से लेकर मांस बिक्री तक की सारी प्रक्रिया पर निगरानी की जिम्मेदारी नागपुर महानगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग की है। इसलिए अन्न व औषधि प्रशासन ने मनपा के स्वास्थ्य विभाग को ही नोटिस दे दिया है।

दरअसल में बकरा काटने से पहले संबंधित दुकानदारों को अनेक नियमों का पालन करना पड़ता है। विभाग ने जिन दुकानों का निरीक्षण किया उनमें से अधिकतर लोगों को नियमों की जानकारी तक नहीं है। मनपा का स्वास्थ्य विभाग भी इसके प्रति गंभीर नहीं है। इसलिए शहर में मांस बिक्री के दौरान नियमों की अनदेखी की जा रही है। इससे मांसाहार के शौकीनों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

149 मांस विक्रेता ही पंजीकृत
हाल ही में अन्न व औषधि प्रशासन ने मांस की 24 दुकानों का निरीक्षण किया था और कई खामियां पाईं थीं, इससे मनपा की कार्यप्रणाली की पोल खुल गई है। जिले में लाइसेंसधारी 61 और पंजीकृत 149 मांस विक्रेता हैं। इसके अलावा 300 मांस विक्रेता सूची से बाहर हैं। बताया जा रहा है कि जिले मे हर सप्ताह 4080 बकरे काटते हैं। लेकिन अन्न व औषधि प्रशासन दुकानों का निरीक्षण के बाद मनपा को नोटिस थमाकर जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। जुर्माना वसूलने या सजा देने जैसी ठोस कार्रवाई नहीं होने से कोई भी मांस विक्रेता इसे गंभीरता से नहीं लेता। अन्न औषधि प्रशासन सालभर में एक या दो बार ही निरीक्षण कर औपचारिकता पूरी कर लेता है।

पशु चिकित्सक की एनओसी के बिना कट रहे मुर्गे
सूत्रों के अनुसार मनपा के पशु चिकित्सक की एनओसी के बिना बकरे और मुर्गे नहीं काटे जा सकते। इसे एंटीमॉर्टम नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार विक्रेताओं को पहले पशु चिकित्सक से बकरे का स्वास्थ्य जांच करानी पड़ती है। बकरा स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। इसके बाद ही बकरा काटने की अनुमति मिल सकती है। यदि पशु चिकित्सक बकरे को अस्वस्थ करार देता है तो, ऐसे बकरे नहीं काट सकते। बकरे के काटने के बाद खून और कचरे का निस्तारण की सही व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को भी हानि नहीं होनी चाहिए। अन्न व औषधि विभाग ने जिन दुकानों का निरीक्षण किया उनमें से अधिकतर लोगों को इन नियमों की जानकारी नहीं थी।

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