पोर्न देखने की आदत आपकी पर्सनल लाइफ कर सकती है खराब

पोर्न देखने की आदत आपकी पर्सनल लाइफ कर सकती है खराब

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-10 10:12 GMT
पोर्न देखने की आदत आपकी पर्सनल लाइफ कर सकती है खराब

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आज के इस डिजिटल युग में इंटरनेट का यूज दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पॉर्न देखऩे वालों की संख्या में भी काफा इजाफा हुआ है। कई युवा पॉर्न देखने की आदत पाल लेते हैं। यह आदत उन्हें कुछ समय के लिए तो सेक्स फैंटसी वर्ल्ड में ले तो जाती है, लेकिन यही आदत उनके लिए नुकसानदाई भी साबित हो जाती है। इंटरनेट की वजह से पोर्न देखने वाले लोगों की संख्या में पहले के मुताबिक ज्यादा हुई है। एक रिसर्च में कहा गया है कि जो लोग रोजाना पॉर्न कटेंट देखते हैं या पढ़ते हैं, उन्हें बिना इसे देखे चैन नहीं मिलता है।

 

 

कई बार लोग पोर्न देखने के एडिक्ट भी हो जाते हैं जो काफी घातक हो सकता है। आज बच्चे से लेकर बूढ़ा व्यक्ति तक इंटरनेट पर घंटो सर्फिंग करता है और ज्यादातर युवा पोर्न स्टोरीज पढ़ना पसंद करते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं पोर्न न देखने की कुछ ऐसी वजह जिन्हें पढ़कर आप ज्यादा पोर्न देखना छोड़ देंगे। दरअसल जिस तरह से लोगों को ड्रग्स और शराब की लत होती है ऐसी ही लत पोर्न की भी होती है। पोर्न देखते समय इंसान का दिमाग अच्छा महसूस करता है, क्योंकि उनके भीतर डोपमीन नामक केमिकल उत्पन्न होने लगता है। 

 


बता दें कि धीरे-धीरे यह लत इंसान के दिमाग पर इस कदर हावी हो जाती है जिससे इंसान ज्यादा से ज्यादा समय पोर्न देखना ही पसंद करता है जो उसे पूरी तरह पोर्न एडिक्ट बना देता है। इससे आपके दिमाग में सेक्स को लेकर फैंटसी अधिक हो जाती है जिस वजह से आप अपने पार्टनर के साथ सेक्स में खुश नहीं रह पाते। इसके नतीजे की शुरुआत रिश्तों के बिगड़ने से होती है।

 

 

पोर्न देखने से कम उम्र के बच्चों और किशोरों पर बेहद गलत असर पड़ता है क्योंकि कम उम्र में ही सेक्शुअल ऐक्टिविटीज में इन्वॉल्व होने से उनमें शारीरिक कमजोरियां आने लगती हैं। इससे कई बार घातक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। अधिक पोर्न देखने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या का भी शिकार होना पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि इंटरनेट पर ऐसी चीजें देखने से ही आजकल किशोरावस्था में ही इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं। अधिक पोर्न देखने से दिमाग में उत्तेजना पैदा करने वाले केमिकल्स बनने कम हो जाते हैं। 

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