विज्ञान ने भी माना इसलिए बुजर्ग कहते थे बेटा..जोर से बोलकर पढ़ा करो

विज्ञान ने भी माना इसलिए बुजर्ग कहते थे बेटा..जोर से बोलकर पढ़ा करो

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-04 10:54 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अक्सर अपने अपने माता-पिता को यह कहते हुए सुना होगा कि बेटा पढ़ाई करते वक्त बोलकर जोर से पढ़ा करो। दरअसल उनके ऐसा करने के पीछे एक कारण था। वह कारण है यह है कि बोल-बोलकर पढ़ने से आपकी याददाश्त ठीक रहती है। ऐसा करने से आप जो कुछ भी पढ़ते हैं वह आपको स्मरण में बना रहता है। बुजुर्गों के बाद अब इस बात की तस्दीक विज्ञान ने भी कर दी है। एक अध्ययन में पता चला है कि जोर से पढ़ने से लंबी अवधि की याददाश्त बढ़ती है। 

 

 

इस अध्ययन के नतीजों में सामने आया है कि बोलने और सुनने की दोहरी कार्यविधि "उत्पादन प्रभाव" का आपकी याददाश्त पर काफी असर पड़ता है इस तरह से पढ़ने वाली किसी भी जानकारी को दिमाग में लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। पुराने जमाने में गुरुकुल जैसी जगहों पर मुंशी जी बच्चों को उंची आवाज में एक ही पहाड़ा बार बार पढ़ाते थे और उसे दोहराने के लिए भी कहते थे। ऐसा करने के पीछे शायद यही वजह थी कि वह जानकारी जो आपने पढ़ी है लंबे समय तक आपको याद रहे। 

 

इसलिए आपने देखा होगा कि आप भले ही आज 20 तक की गिनती या कोई कहावत भूल गए हो लेकिन आपके पिता को वह जरूर याद होगी। इसलिए अगर आपका बच्चा पाठ याद नहीं कर पा रहा है तो उसे ऊंचे स्वर में पढ़ने की आदत डालने को कहिए। विज्ञान भी कहता है कि बोलने और सुनने से शब्द जाना-पहचाना बन जाता है और इस प्रकार उसके मस्तिष्क में प्रतिधारण यानी स्मृति में बने रहने की संभावना बढ़ जाती है।


कनाडा के वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कोलिन एम. मैकलियोड ने कहा, "अध्ययन में सक्रिय सहभागिता से सीखने और स्मृति के फायदे की पुष्टि होती है।" उन्होंने आगे बताया, "जब हम सक्रिय उपाय या उत्पादन तत्व किसी शब्द के साथ जोड़ते हैं, तो वह शब्द ज्यादा विशिष्ट बनकर हमारी लंबी अवधि की स्मृति या यादों में रहता और वह स्मरणीय बन जाता है।"

बता दें कि मेमोरी नामक पत्रिका में भी प्रकाशित इस अध्ययन में लिखित सूचनाओं को सीखने की चार विधियों का परीक्षण किया गया। जिनमें किसी पाठ को मन में पढ़ना, या फिर किसी को उसे पढ़कर सुनाना, पढ़ी हुई जानकारी को रिकॉर्ड करने सुनना और उसे जोर जोर से पढ़ना शामिल था। 

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