डायबिटीज को हराने के लिए घटाएं वजन

डायबिटीज को हराने के लिए घटाएं वजन

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-08 03:20 GMT
डायबिटीज को हराने के लिए घटाएं वजन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं है। लंबे परहेज और दवाइयों के बाद भी ये लौट आती है।  हालांकि इसका कुछ अच्छी आदतों से किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले तो आपको अपने वजन पर ध्यान देना होगा। अगर आप आवश्यक रूप से अपना वजन घटा लें तो टाइप 2 डायबिटीज को आसानी से हराया जा सकता है। UK के वैज्ञानिकों ने इस बात को साबित किया है। इस स्टडी में लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित लोगों को शामिल किया गया था। स्टडी में पाया कि जिन लोगों ने अपने वेट मैनेजमेंट प्रोग्राम को सही तरीके फॉलो किया उन 2 में से 1 को डायबिटीज को हराने में सफलता हासिल हुई। स्टडी में शामिल सभी प्रतिभागियों को पिछले 6 सालों में डायबिटीज होने का पता चला था। 

 

                                    

 

अंतरराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में इस स्टडी के नतीजे प्रकाशित किए गए हैं जो बताते हैं कि डायबिटीज के घटने का सीधा संबंध इस बात से है कि मरीज कितना वजन घटा सकता है। स्टडी में शामिल 86%  प्रतिभागी जिन्होंने अपना वजन करीब 15 किलोग्राम तक घटाया था, उन्हें इस बीमारी को हराने में सफलता हासिल हुई तो वहीं 73%  प्रतिभागी जिन्होंने करीब 10 किलोग्राम तक वजन घटाया था उनके नतीजे पर करीब-करीब वैसे ही रहे। 

 

कैसे करें वजन कम

 

                                    

 

डायबिटीज में सुधार और कमी लाने के लिए जो लोग वेट लॉस की प्रक्रिया चुनने का फैसला करते हैं डॉक्टर्स। वो पेशेंट्स को ऐंटि-डायबीटिक और ऐंटि-हाइपरटेंसिव दवाएं नहीं देते हैं। ऐसे प्रतिभागियों को 3 महीने के लिए डाइट रिप्लेसमेंट फेस में रखा जाता है और अगर प्रतिभागी चाहे तो इस प्रक्रिया को आगे 5 महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है। डाइट रिप्लेसमेंट के दौरान मरीजों को लो एनर्जी फॉर्मूला डाइट (825 से 853 कैलरी प्रति दिन) दिया जाता है। इस दौरान मरीज की शारीरिक गतिविधियों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की जाती है। 

डायबिटीज से बचने के लिए कुछ उपायों को आजमाएं

 

                                 

 

इस स्टडी के उल्लेखनीय नतीजे सामने आने के बाद कई मरीजों से "जीवन भर के लिए डायबीटिक" का लेबल हटा सकते हैं।" डायबिटीज मुख्य रूप से 2 तरह का होता है- टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 डायबिटीज में इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाले पैन्क्रिऐज के सेल्स को नुकसान पहुंचाता है जबकि टाइप 2 डायबिटीज जो डायबिटीज के सभी केसेज में 90 से 95 फीसदी होता है में बॉडी के सेल्स इंसुलिन का संग्रहण नहीं कर पाते या फिर पैन्क्रिऐज बहुत कम इंसुलिन बनाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि डायबिटीज के परंपरागत इलाज में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए जीवन भर दवाएं खानी पड़तीं हैं। 

 

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