मेजर ध्‍यानचंद को क्यों कहा गया हॉकी का जादूगर, जानें उनके बारे में खास बातें

पुण्यतिथि मेजर ध्‍यानचंद को क्यों कहा गया हॉकी का जादूगर, जानें उनके बारे में खास बातें

Manmohan Prajapati
Update: 2021-12-02 10:29 GMT
मेजर ध्‍यानचंद को क्यों कहा गया हॉकी का जादूगर, जानें उनके बारे में खास बातें
हाईलाइट
  • ध्यान चंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उप्र के इलाहाबाद में हुआ था
  • ध्यान चंद की 3 दिसंबर 1979 में मृत्यु बीमारी के कारण हो गई थी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की आज (03 दिसंबर, शुक्रवार) 12 वीं पुण्यतिथि है। बता दें कि, वे भारतीय हॉकी के खिलाड़ी एवं कप्तान थे, जिनकी गिनती दुनिया के श्रेष्ठतम खिलाड़ियों में होती है। उनके आसपास भी आज तक दुनिया का कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है। उनमें गोल करने की अद्भुत कला प्राप्त थी, खेल के मैदान में जब इनकी हॉकी उठती थी, तो विपक्षी टीम बिखर जाती थी। 

इलाहाबाद में जन्म लेने वाले इस महान खिलाड़ी ने 3 ओलंपकि खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद की 3 दिसंबर 1979 में मृत्यु बीमारी के कारण हो गई थी। आइए जानते हें उनके बारे में कुछ खास बातें...

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16 साल की उम्र में सेना में भर्ती
प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। ध्यान चंद महज 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था। वे सिर्फ देश के ही नहीं दुनिया के हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। मेजर ध्यानचंद रात में भी बहुत अभ्यास करते थे, इसलिए उन्हें उनके साथी चॉंद कहकर पुकारते थे।  उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे।  

400 से ज्यादा अंर्तराष्ट्रीय गोल
वे 3 ओलंपिक गोल्ड मेडल और 400 से ज्यादा अंर्तराष्ट्रीय गोल करने वाले महान खिलाड़ी है। विएना में चार हाकी स्टिक पकड़े चार हाथों वाली उनकी मूर्ति स्थापित है जो उनके खेल कौशल को दर्शाती है। वियना की यह मूर्ति जिसके चार हाथ और चार स्टिक हैं, जैसे वो हॉकी के देवता हों। उन्हें व्यापक रूप से सबसे बड़ा फील्ड हाकी खिलाड़ी माना जाता है। उन्हें अपने शानदार गेंद नियंत्रण के लिए प्रसिद्ध तौर पर ‘द विजार्ड’ के रूप में जाना जाता था।

उत्तम विचार
उनका कहना था कि मेरा देश मुझे क्या देता है मुझे जरुरी नहीं है। पर मेरा फर्ज है की में देश को क्या देता हूं। ऐसे उत्तम विचारों के धनी मेजर ध्यान चंद सभी देशवासियों के दिल मे अमर रहेंगे।

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हॉकी स्टिक के साथ जादू
जिस समय मेजर ध्यानचंद भारत के लिए हॉकी खेला करते थे, वह समय भारतीय हॉकी प्रदर्शन का और राष्ट्रीय खेलों तथा इंडियन नेशनल स्पोर्ट्स का भी स्वर्ण युग था। मेजर ध्यानचंद में अपने खेल हॉकी के हुनर की अद्वितीय क्षमताएं थी। मेजर ध्यानचंद अपनी हॉकी स्टिक के साथ खेल के मैदान में जैसे कोई जादू करते थे और खेल जिता देते थे। 

पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित
उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत सन् 1926 में की और अपनी कप्तानी में उन्होंने सन् 1928, सन् 1932 और सन् 1936 में देश को स्वर्ण पदक हॉकी में जिताये थे। इस महान खिलाड़ी ने अपने खेल द्वारा सन् 1948 तक अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, इस समय उनकी आयु 42 वर्ष थी। मेजर ध्यानचंद चाहे खेल के मैदान में हो अथवा बाहर, वे हमेशा एक अच्छे इंसान रहे। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया जो कि हमारे देश का तीसरा सबसे बड़ा सिविलियन अवार्ड है।

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