नौ सालों में 11 हजार किसानों की आत्महत्या
नौ सालों में 11 हजार किसानों की आत्महत्या
टीम डिजिटल,भोपाल. एमपी के अपनी 20 सूत्री मांगों को लेकर किसानों ने आंदोलन भले ही थम गया हो.लेकिन किसानों की आत्महत्या के मामले थम नहीं रहें हैं. हर रोज किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रहीं हैं. एमपी में 26 लाख किसान कुल 13,000 करोड़ रूपए के कर्ज के तले दबे हैं और परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं. पिछले 24 घंटो में राज्य में 3 किसान खुदकुशी कर चुके है. वहीं पिछले 9 सालों में 11 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
ये हाल केवल मध्यप्रदेश के किसानों का नहीं है, किसानों की आतमहत्या के मामलों में महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक का जिक्र आता रहा है. इस बीच झारखंड में भी कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान ने आत्महत्या कर ली है. बताया जाता है कि किसान कालेश्वर महतो की फसल इस साल बर्बाद हो गयी थी, जिसके बाद बैंक ने उन पर कर्ज वापसी के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया था. घटना खबर मिलने पर मुख्यमंत्री ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं. वहीं महाराष्ट्र कैबिनेट में कर्ज माफी का मामला फिहाल लंबित हैं. लेकिन कैबिनेट ने अहम फैसला लेते हुए हर किसान को फौरन 10 हजार रूपए मदद करने का ऐलान किया है.
आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े
पूरे देश में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे है.सरकार की हर पहल विफल हो रही है. मूआवजे बढ़ रहें है. योजनाएं बन हीं हैं. लेकिन किसानों के आगे हारती नजर आती है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, किसान आत्महत्याओं में 42% की बढ़ोतरी हुई है. आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए. 30 दिसंबर 2016 को जारी एनसीआरबी के रिपोर्ट 'एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया 2015' के मुताबिक साल 2015 में 12,602 किसानों और खेती से जुड़े मजदूरों ने आत्महत्या की है.