नागरिकता कानून का विरोध जारी, अमित शाह का मेघालय-अरुणाचल दौरा रद्द

नागरिकता कानून का विरोध जारी, अमित शाह का मेघालय-अरुणाचल दौरा रद्द

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-13 13:31 GMT
नागरिकता कानून का विरोध जारी, अमित शाह का मेघालय-अरुणाचल दौरा रद्द

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय और अरुणाचल प्रदेश की अपनी यात्रा रद्द कर दी है। शाह को रविवार को शिलांग के पास नॉर्थ ईस्टर्न पुलिस अकादमी में पासिंग आउट परेड में भाग लेना था और अगले दिन तवांग में एक समारोह में शामिल होना था। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ असम और मेघालय में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच ये दौरा रद्द किया गया है।

उधर, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारत यात्रा रद्द कर दी। असम में हिंसा के चलते आबे ने अपना भारत दौरा स्थगित किया है। वह एक समिट के लिए भारत आने वाले थे। यह समिट असम के गुवाहाटी में रविवार से होनी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की है। अपने ट्वीट में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि जल्द ही इस समिट के लिए दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से नई तिथि निर्धारित की जाएगी। 

इससे पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने भी अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था। वह फॉरेन मिनिस्ट्री की ओर से आयोजित दिल्ली डॉयलॉग में शामिल होने के लिए तीन दिवसीय यात्रा (12-14 दिसंबर) के लिए भारत आने वाले थे। संसद में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के पारित होने से उत्पन्न स्थिति को लेकर उन्होंने अपनी भारत यात्रा रद्द की है। हालांकि अब्दुल मोमन ने यात्रा रद्द करने का दूसरा कारण बताया है।

बता दें नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पूर्वोत्तर राज्यों में जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है। गुरुवार को गुवाहाटी में कर्फ्यू को तोड़ते हुए हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारियों ने विधायक बिनोद हजारिका के घर को और वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। सर्कल ऑफिस को भी जला दिया गया था। स्थिती को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।

राज्यसभा से बुधवार को नागरिकता (संशोधन) बिल 2019 पास हुआ था। बिल के पक्ष में 125 जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। लोकसभा में बिल के पक्ष में वोटिंग करने वाली शिवसेना ने राज्यसभा में वॉकआउट किया और वोटिंग में शामिल नहीं हुई। अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर के बाद ये बिल कानून बन जाएगा।

इस कानून के जरिए पड़ोसी तीनों देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।

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