‘राष्ट्रपति शासन की धमकी दे रही भाजपा’ , मुनगंटीवार के बयान पर शिवसेना  नाराज 

‘राष्ट्रपति शासन की धमकी दे रही भाजपा’ , मुनगंटीवार के बयान पर शिवसेना  नाराज 

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-02 13:46 GMT
‘राष्ट्रपति शासन की धमकी दे रही भाजपा’ , मुनगंटीवार के बयान पर शिवसेना  नाराज 

डिजिटल डे्स्क, मुंबई। वरिष्ठ भाजपा नेता व राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार का राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने वाले बयान पर शिवसेना ने कड़ी नाराजगी जताई है। मुनगंटीवार के कहा था कि महाराष्ट्र में अगर सात नवंबर तक सरकार नहीं बनी तो प्रदेश राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ सकता है। पार्टी ने व्यंग्यपूर्ण तरीके से गठबंधन सहयोगी से पूछा कि क्या राष्ट्रपति की मुहर राज्य में उसके कार्यालय में पड़ी है? प्रदेश में 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से ही सत्ता में साझेदारी को लेकर शिवसेना और भाजपा में खींचतान चल रही है। शिवसेना ने भाजपा को चुनौती दी कि वह प्रदेश में अगली सरकार बनाने का दावा पेश करे। प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हो रहा है।

वित्त मंत्री मुनगंटीवार पर हमला बोलते हुए शिवसेना ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की “धमकी” दी है क्योंकि राजनीतिक समीकरण साधने के लिये जांच एजेंसियों के इस्तेमाल जैसे “धमकाने वाले हथकंडे” महाराष्ट्र में कारगर नहीं है। शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र “सामना” में सवाल उठाया कि मुनगंटीवार द्वारा दी गई इस धमकी से आम लोग क्या समझेंगे? इसका मतलब क्या यह है कि भारत के राष्ट्रपति आपकी (भाजपा की) जेब में हैं या राष्ट्रपति की मुहर महाराष्ट्र में भाजपा के दफ्तर में रखी है?

संपादकीय में शिवसेना ने पूछा है कि क्या ये लोग यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में विफल रहने पर भाजपा राष्ट्रपति शासन थोप सकती है।   पार्टी ने कहा है कि यह बयान संविधान और कानून के शासन के बारे में अल्पज्ञान को दर्शाता है। यह धमकी तय व्यवस्थाओं को दर किनार कर चीजों को अपने मुताबिक करने की दिशा में एक कदम हो सकती है।

यह बयान लोगों के जनादेश का अपमान है।” प्रदेश में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 105 सीटें मिली थीं जबकि 288 सदस्यीय सदन में शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। प्रदेश में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। संपादकीय में आगे लिखा गया है कि जो लोग राष्ट्रपति शासन की बात कर रहे हैं उन्हें पहले प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहिए।

राष्ट्रपति संविधान में सर्वोच्च प्राधिकार हैं। यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं, देश के बारे में है। देश किसी की जेब में नहीं है। शिवसेना ने यह भी कहा कि सरकार गठन में जारी गतिरोध के लिये उसे दोष नहीं दिया जाना चाहिए। जबकि शिवसेना के आरोपों पर मुनगंटीवार ने कहा कि मैंने तो सिर्फ संविधान के प्रावधान की बात कही थी। इस पर शिवसेना को नाराज होने की क्या जरूरत है। 
  

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