प्यार में बनी सेक्सुअल रिलेशनशिप रेप नहीं है: बॉम्बे हाईकोर्ट

प्यार में बनी सेक्सुअल रिलेशनशिप रेप नहीं है: बॉम्बे हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-02 05:13 GMT
प्यार में बनी सेक्सुअल रिलेशनशिप रेप नहीं है: बॉम्बे हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क पणजी। अक्सर देखने में आता है कि महिलाएं अपने कुछ अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए पुरुषों पर यौन शोषण जैसे आरोप मढ़ देती हैं। ऐसे ही आरोपों को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रेम संबंधों के दौरान सहमति से सेक्स करने पर किसी व्यक्ति को बलात्कार का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सिर्फ महिला के गलत बयानी के आधार पर ही किसी को सजा नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट की बेंच ने यह फैसला ट्रायल कोर्ट से बलात्कार के आरोप में सात साल की सजा पाए व्यक्ति के मामले में सुनाई है।

 

दोनों साथ करते थे काम

हाईकोर्ट ने यह फैसला योगेश पालेकर के मामले में सुनाया, जिस पर एक महिला के साथ शादी का वादा कर रेप करने के आरोप लगाया था। कोर्ट ने 2013 के इस मामले में आदेश देते हुए आरोपी की सजा और जुर्माने को हटा दिया। बता दें कि योगेश एक कैसिनो में शेफ का काम करते थे और उनका अफेयर वहीं काम करने वाली एक लड़की के साथ था। महिला ने योगेश पर आरोप लगाया था कि वह उसे घरवालों से मिलवाने के नाम पर घर ले गया, जहां वह रात में रुकी, इस दौरान प्यार और शादी का झांसा देकर योगेश ने उसका यौन शोषण किया। महिला के अनुसार योगेश ने इसके अलावा भी उनके साथ 3-4 बार संबंध बनाए। महिला ने इसके बाद आरोपी के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज करा दी। 

 

सहमति से बनाए सेक्सुअल रिलेशन

 

कोर्ट ने अपनी सुनवाई में पाया कि महिला योगेश पालेकर को आर्थिक तौर पर भी मदद करती थी। जस्टिस सी. वी. भदांग ने पाया कि दोनों के बीच सहमति केवल पालेकर के वादों पर ही नहीं बनी, बल्कि उनकी आपसी सहमति से बनी। कोर्ट ने इन सबके आधार पर कहा कि यह रेप नहीं बल्कि दोनों के बीच प्यार का संबंध था। गोवा में उसने डिप्रेशन का इलाज कराने की वजह से अपनी शिकायत भी वापस ले ली थी। महिला ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वीकार किया कि उसने शारीरिक संबंध की सहमति दी थी, लेकिन शादी की शर्त पर। कोर्ट ने इस बात को अस्वीकार दिया और कहा कि किसी भी व्यक्ति को ऐसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
 

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