मेघालय से हटाया गया विवादास्पद AFSPA कानून

मेघालय से हटाया गया विवादास्पद AFSPA कानून

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-23 14:29 GMT
मेघालय से हटाया गया विवादास्पद AFSPA कानून

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मेघालय से विवादास्पद आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) को पूरी तरह से हटा लिया गया है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में कुछ क्षेत्रों तक ही इसे सीमित कर दिया गया है। AFSPA अब अरुणाचल प्रदेश के केवल 8 पुलिस स्टेशनों में ही लागू रहेगा। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये फैसला लिया है।

16 थानों में लागू था अफ्सपा
गृह मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार के साथ हाल में हुई बातचीत के बाद मेघालय से अफस्पा को पूरी तरह से हटाने का फैसला लिया गया। वहीं 2017 में अरुणाचल प्रदेश के 16 थानों में अफस्पा लागू था। इसे अब अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गिंग जिले के 8 पुलिस स्टेशनों तक सीमित कर दिया गया है। यह फैसला 31 मार्च से ही अमल में भी लाया जा चुका है। 

 



सकारात्मक बदलाव के बाद फैसला
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक सुरक्षा स्थिति में आए सकारात्मक बदलाव के चलते ये फैसला लिया गया है। गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 2017 में नागरिकों की मौत में 83 फीसदी और सुरक्षा बलों के हताहत होने के आंकड़े में 40 फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2000 से तुलना की जाए तो 2017 में पूर्वोत्तर में उग्रवाद संबंधी घटनाओं में 85 फीसदी की कमी देखी गई है। वहीं, 1997 की तुलना में जवानों की मौत का आंकड़ा भी 96 फीसदी तक कम हुआ है। 

कई संगठन कर रहे थे एक्ट को हटाने की मांग
अफस्पा सेना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। इस ऐक्ट को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाकर लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जाती रही है। नॉर्थ ईस्ट के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में कई दिनों से इस एक्ट को रद्द करने के लिए विभिन्न संगठन आवाज उठा रहे थे।

 

 

 

क्या है अफ्सपा?

  • 45 साल पहले 1 सितंबर 1958 में भारतीय संसद ने आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्टयानी अफ्सपा को लागू किया, जो एक फौजी कानून है।
  • अफ्सपा को 1 सितंबर 1958 को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित भारत के उत्तर-पूर्व में लागू किया गया था।
  • अफ्सपा जिन इलाकों में लागू होता है वहां पूरा नियंत्रण सेना के हाथ में होता है। सेना इस कानून के तहत किसी भी इलाके को "डिस्टर्ब्ड" घोषित करके वहां के नागरिकों को गिरफ्तार कर सकती है।
  • चेतावनी के बाद, यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है और अशांति फैलाता है, तो सशस्त्र बल के विशेष अधिकारी आरोपी की मृत्यु हो जाने तक अपने बल का प्रयोग कर सकता है।
  • अफसर को ये भी अधिकार है कि वह किसी आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह कर सकता है जहाँ से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो।
  • सशस्त्र बल किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं।
  • अफसर परिवार के किसी व्यक्ति, सम्पत्ति, हथियार या गोला-बारूद को बरामद करने के लिए बिना वारंट के घर के अंदर जा कर तलाशी ले सकता है।
     
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