दाती महाराज से शनि देव हुए नाराज, दुष्कर्म के बाद अब लगा करोड़ों की ठगी का आरोप
दाती महाराज से शनि देव हुए नाराज, दुष्कर्म के बाद अब लगा करोड़ों की ठगी का आरोप
- अब दाती पर दुष्कर्म के बाद ठगी के आरोप भी लग रहे हैं।
- दाती महाराज पर उसकी शिष्या ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया है।
- नजफगढ़ के जगमोहन सूरी का दावा है कि दाती और उसके साथी ने उनसे ढाई करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक्स सामान देने के बहाने ठग लिए।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आसाराम और गुरमीत राम रहीम के बाद एक और स्वयंभू संत दाती महाराज पर बलात्कार के आरोप लगे। दाती महाराज पर उसकी शिष्या ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया है, लेकिन लगता है शनि देव की आराधना करने वाले दाती महाराज से शनि देव की वक्र दृष्टि पड़ गई है, इसलिए अब दाती पर दुष्कर्म के बाद ठगी के आरोप भी लग रहे हैं। दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के रहने वाले जगमोहन सूरी का दावा है कि दाती महाराज और उसके साथी अभिषेक वर्मा ने उनसे ढाई करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक्स सामान देने के बहाने ठग लिए। जगमोहन दाती के भक्त रहे हैं और वो दिल्ली स्थित श्री शनिधाम ट्रस्ट आकर उनकी पूजा किया करते थे।
इससे पहले एक युवती ने दाती महाराज पर रेप आरोप लगाया था। युवती का आरोप है कि दो साल पहले दाती महाराजा और उनके सहयोगियों कथित तौर पर उसके साथ रेप किया था। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) रोमिल बनिया ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376, 377, 354 और 34 के तहत दर्ज किया गया है। पीड़िता ने दिल्ली स्थित श्री शनिधाम ट्रस्ट के संस्थापक और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरोप लगाए जाने के कुछ दिनों बाद मामला दर्ज किया गया है।
फारार हुआ दाती
रेप के आरोप लगने के बाद गुरुवार तक मीडिया पर खुद को निर्दोष बताने वाला दाती महाराज पत्नी के साथ फरार हो गया है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक दाती महाराज राजस्थान में आश्रम से फरार हो चुका है और उनकी पत्नी का भी कुछ पता नहीं चल पा रहा है। वहीं पुलिस ने उस शिकंजा कड़ा कर दिया है और उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया है।
चाय की दुकान चलाने वाला मदन कैसा बना स्वयंभू संत
दाती महाराज उर्फ मदनलाल ने कुछ ही सालों में चाय की दुकान से लेकर आलीशान जिंदगी तक का सफर तय किया। बचपन में ही सात साल की उम्र में उसके मां-बाप दोनों की मौत हो गई तो दो जून रोटी की तलाश में वो राजस्थान से दिल्ली आ गया। इसके बाद कोई काम नहीं मिलने पर वो दिल्ली के फतेहपुरबेरी में मदनलाल पंडित नाम से चाय की दुकान चलाने लगा। कुछ समय बाद उसने पटरी-बल्ली और शटरिंग की दुकान खोली, फिर ईंट-बालू तथा सीमेंट की दुकान खोलकर उसमें भी हाथ आजमाया। इसके बाद उसने फतेहपुरबेरी में ही टेंट हाउस खोला और कैटरिंग का काम शुरू कर दिया।
कैटरिंग का काम सीखने के बाद उसके पास इससे पैसे आने लगे, जिससे उसकी रोजी-रोटी चलने लगी। इस दौरान साल 1996 में मदन की जिंदगी तब पूरी तरह घूम गई, जब उसकी मुलाकात राजस्थान के एक नामी ज्योतिषी से हुई। इस ज्योतिषी की संगत में मदन ने हाथ देखने का काम बारीकी से सीखा और एक दिन ऐसा भी आया जब उसने जन्मकुंडली देखना भी सीख लिया। अब उसने इस काम का अपना पेशा बनाने का निर्णय ले लिया और कैटरिंग के धंधे को बंद कर दिया।
ज्योतिषी का काम सीखकर बदला नाम और काम
हाथ देखने का काम चल निकला तो मदन ने फतेहपुरबेरी गांव में ही अपना ज्योतिष केंद्र खोल लिया। फिर इसी जमीन पर उसने शनिधाम मंदिर बना लिया। कुछ साल में ही आस-पास की जमीन पर कब्जा करके आश्रम और ट्रस्ट बना लिए, दशकों तक कोई समस्या नहीं आई। चेलों, भक्तों की संख्या सैकड़ों से हजारों में तब्दील हो गई। जिंदगी में बदलाव आया तो उसने काम पीछे छोड़ने के साथ नाम भी छोड़ दिया और नाम बदलकर दाती महाराज रख लिया। टेलीविजन खासकर न्यूज चैनलों पर अपनी जादुई बातों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगा।
दौलत-शोहरत मिलते ही दाती महाराज ने दिल्ली से बाहर भी उड़ान भरनी शुरू कर दी। हरिद्वार महाकुंभ के दौरान पंचायती महानिर्वाण अखाड़े ने दाती महाराज को महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी। इसके बाद शनि मंदिर को श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर का नाम दे दिया और खुद का नाम श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज रख लिया।