राफेल सौदा: रक्षा मंत्रालय की सफाई- रिलायंस की भागीदारी में सरकार का कोई रोल नहीं

राफेल सौदा: रक्षा मंत्रालय की सफाई- रिलायंस की भागीदारी में सरकार का कोई रोल नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-22 15:46 GMT
राफेल सौदा: रक्षा मंत्रालय की सफाई- रिलायंस की भागीदारी में सरकार का कोई रोल नहीं
हाईलाइट
  • फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान से मचा है पूरा बवाल
  • रक्षा मंत्रालय ने कहा- रिलायंस कंपनी को पार्टनर चुने जाने में सरकार का कोई रोल नहीं
  • राफेल पर रिलायंस की भागीदारी पर रक्षा मंत्रालय ने जारी किया स्टेटमेंट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राफेल सौदे में रिलायंस कंपनी को फायदा पहुंचाने के आरोपों पर रक्षा मंत्रालय का बयान आया है। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डसॉल्ट द्वारा रिलायंस कंपनी को पार्टनर चुने जाने में सरकार का कोई रोल नहीं है। ये दो प्राइवेट कंपनियों का आपसी एग्रीमेंट है। गौरतलब है कि राफेल पर यह नया विवाद फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा ओलांदे के उस बयान के बाद उपजा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राफेल एयरक्राफ्ट बनाने के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी का नाम उन्हें भारत सरकार ने सुझाया था। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। इसीलिए डसाल्ट ने इसके बाद रिलायंस से राफेल को लेकर बातचीत शुरू की।

ओलांदे के इस बयान के बाद फ्रांस सरकार ने भी एक बयान जारी कर कहा था कि इस सौदे के लिए भारतीय कंपनी के चुनाव में उनकी कोई भूमिका नहीं रही है। इन बयानों के बाद विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर रिलायंस कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम मोदी को चोर भी कहा है।

आरोपों के जवाब में रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद उपजा विवाद बेवजह का है। इसमें कहा गया है, "बयान को पूरी तरह से समझने की जरूरत है। फ्रांस की मीडिया ने डील में शामिल पूर्व राष्ट्रपति के करीबियों को लेकर सवाल पूछा था, इसके जवाब में ओलांदे ने ये बयान दिया था।" रक्षा मंत्रालय ने कहा, "हम पहले भी यह स्पष्ट कर चुके हैं और फिर से दोहरा रहे हैं कि रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में भारत सरकार कोई हाथ नहीं है।"

बयान में कहा गया है, "ऑफसेट पॉलिसी की घोषणा पहली बार 2005 में हुई थी, इसके बाद कई बार इसे रिवाइज भी किया गया। ऑफसेट पॉलिसी का उद्देश्य भारतीय कंपनियों को डिफेंस के क्षेत्र में प्रमोट करना और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के मुकाबले में खड़ा करना है। इसके तहत कोई विदेश हथियार निर्माण कंपनी अपने अनुसार कोई भी भारतीय कंपनी चुन सकती है। इसी व्यवस्था के तहत फ्रांस की डसाल्ट कंपनी ने रिलायंस को अपने पार्टनर के रूप में चुना।"

रक्षा मंत्रालय ने कहा, "डसाल्ट और रिलायंस के बीच जॉइंट वेंचर पहली बार फरवरी 2017 में सामने आया। यह दो प्राइवेट कंपनियों के बीच में पूरी तरह कमर्शियल अरेंजमेंट है।"
 

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