इंसानियत की मिसाल: भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम युवकों ने दिया कंधा

इंसानियत की मिसाल: भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम युवकों ने दिया कंधा

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-16 00:24 GMT
इंसानियत की मिसाल: भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम युवकों ने दिया कंधा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की पहचान गंगा जमुनी तहजीब के लिए है। यहां हिंदू मुस्लिम मिल-जुल कर रहते हैं और यह आज यहां देखने को भी मिला जब एक हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम युवकों ने कंधा दिया, क्योंकि मृतक महिला के परिवार में सिर्फ 3 ही सदस्य हैं। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे आपसी सौहार्द और साम्प्रदायिक सद्भाव की तस्वीर बताया है।

दरअसल, टीला जमालपुरा क्षेत्र की शोभाराम की बावड़ी बस्ती में रहने वाले मोहन नामदेव की पत्नी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। उनका हमीदिया अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनकी बीती रात मौत हो गई। इन दिनों लॉकडाउन चल रहा है और मोहन का कोई रिश्तेदार भोपाल नहीं आ पाया। मोहन और उसके दो बच्चे हैं, जबकि अर्थी को कंधे देने के लिए चार लोगों की जरूरत होती है।

हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति को बताता है: कमलनाथ
इंदौर के साउथ तोड़ा के बाद आज भोपाल के टीलाजमालपुरा इलाके से भी सामने आई साम्प्रदायिक सद्भाव की तस्वीर। एक हिन्दू महिला की अर्थी को मुस्लिम समाज के युवकों ने दिया कांधा। इसी प्रकार का आपसी प्रेम-स्नेह-भाईचारा हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति को बताता है।

 

 

मोहन की आर्थिक हालत ठीक नहीं, इसलिए मदद की 
मोहन नामदेव के घर के करीब रहने वाले शाहिद खान ने बताया है कि मोहन की आर्थिक हालत ठीक नहीं है और उन्हें लोगों के सहयोग की जरूरत थी। इस स्थिति में पड़ोस में रहने वाले सभी लोगों ने सहायता की और मुस्लिम युवकों ने मोहन की पत्नी की अर्थी को कंधा दिया। शमशान घाट तक ले गए, वहां अंतिम संस्कार में भी सभी ने सहयोग किया।

नेता वोट के लिए सिर्फ समाज को बांटते हैं
शाहिद का कहना है कि इंसानियत बड़ी चीज है, कोई धर्म एक दूसरे की मदद करने से नहीं रोकता। मोहन की पत्नी के निधन की खबर से हर कोई दुखी था और सब ने सहयोग किया। समाज में किस तरह की एकता है, यह तो नेताओं को देखना चाहिए। नेता तो सिर्फ समाज में बंटवारे की कोशिश करते हैं, ताकि उन्हें वोट मिल जाए।

लॉकडाउन में कामकाज बंद, मोहल्ले के लोग कर रहे परिवार की मदद
शाहिद का कहना है कि मोहन फुलकी बेचकर अपना परिवार चलाता है। लॉकडाउन के कारण उसका काम धंधा बंद है और खाने के लाले पड़े हुए हैं। इसलिए राज्य सरकार को मोहन के परिवार की आर्थिक मदद करना चाहिए। वर्तमान में मुहल्ले के लोग मोहन की मदद कर रहे हैं।

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