अपनी पोती का शव कंधे पर ले जाने को मजबूर हुआ दादा

अपनी पोती का शव कंधे पर ले जाने को मजबूर हुआ दादा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-15 03:20 GMT
अपनी पोती का शव कंधे पर ले जाने को मजबूर हुआ दादा

डिजिटल डेस्क,फरीदाबाद। इंसानियत को तार-तार कर देने वाला मामला एक बार फिर सामने आया है। जिन डॉक्टर्स को हम भगवान मानते हैं, जब वो ही संवेदनाहीन हो जाएं तो अक्सर ऐसा होता है। देश में एक बार फिर एम्बुलेंस न मिलने से अपने कलेजे के टुकड़े का शव कंधे पर ले जाने को एक दादा को मजबूर होना पड़ा है। नया मामला यूपी के फरीदाबाद का है।

यहां के एक अस्पताल प्रशासन की ओर से एम्बुलेंस मुहैया न कराए जाने पर एक दादा को अपनी नौ वर्षीय पोती का शव कंधे पर ले जाने को मजबूर होन पड़ा। लड़की की सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस प्रवक्ता के अनुसार बुखार से पीड़ित लक्ष्मी का दादा आज सुबह उसे बादशाह खान अस्पताल लाया था जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया और उसकी मौत हो गई। मौत के बाद शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई, जिसके बाद वह उसका शव कंधों पर ले जाने लगा, तभी कुछ स्थानीय पत्रकारों ने हस्तक्षेप किया फिर उसके बाद उसे एक निजी एम्बुलेंस मुहैया कराई गई।

ऐसा पहली बार नहीं

ये पहला मौका नहीं है जब ऐसा हुआ है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कथित रूप से सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराये जाने की वजह से मृतक के परिजन शव को रिक्शे पर लादकर ले गये। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सूत्रों ने बताया कि रामआसरे (44) नामक व्यक्ति का शव रेल की पटरी से बरामद हुआ था। उसके परिजन शव को पोस्टमार्टम के लिए रिक्शे पर लाद कर ले गए थे।

इससे पहले यूपी के कौशांबी में 12 जून को ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां एक शख्स को अपनी सात महीने की भांजी का शव कंधे पर लादकर हॉस्पिटल से 10 किलोमीटर दूर साइकिल से घर ले जाना पड़ा था। इस मामले में पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि सरकारी अस्पताल ने एंबुलेंस के लिए उनसे 800 रुपए की मांग की थी।

 

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