10 वर्षीय रेप पीड़िता के गर्भपात का मामला, हाईकोर्ट का केन्द्र सरकार को नोटिस

10 वर्षीय रेप पीड़िता के गर्भपात का मामला, हाईकोर्ट का केन्द्र सरकार को नोटिस

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-24 18:37 GMT
10 वर्षीय रेप पीड़िता के गर्भपात का मामला, हाईकोर्ट का केन्द्र सरकार को नोटिस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने 10 वर्षीय एक बलात्कार पीड़ित लड़की के गर्भपात की अनुमति के लिए दायर याचिका पर सोमवार को केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया। पीड़िता के गर्भ में 26 सप्ताह का भ्रूण है। चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की बेंच ने चंडीगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव से इस मामले में न्याय मित्र के रूप में कोर्ट की मदद करने का अनुरोध किया है। कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता का 26 जुलाई को डॉक्टरों के बोर्ड से परीक्षण कराने का भी निर्देश दिया है और इसके लिए माता-पिता में से एक की सहमति लेने को कहा है।

गर्भपात से बच्ची को कोई खतरा तो नहीं?

बेंच ने यह भी कहा कि मेडिकल बोर्ड को इस पहलू की भी जांच करनी होगी कि यदि वे गर्भपात की अनुमति दें तो पीड़ित बच्ची के जीवन को कोई खतरा तो नहीं होगा? कोर्ट ने सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि बलात्कार पीड़िता और उसके माता पिता में से एक को पीजीआई, चंडीगढ़ में परीक्षण हेतु जाने के लिए उचित सुविधा उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट इस मामले में अब 28 जुलाई को आगे विचार करेगा।

मेडिकल बोर्ड सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपे

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट उसे सौंपेगा। सदस्य सचिव पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों से सील बंद रिपोर्ट लाकर इस कोर्ट को विचारार्थ देंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता के वकील से कहा कि वह तुरंत सदस्य सचिव को उसका पता मुहैया कराये। कोर्ट ने विधिक सेवा पदाधिकारियों को चिकित्सकीय परीक्षण के लिये संबंधित बच्ची और उसके माता-पिता में से कम से कम किसी एक को चंडीगढ़ ले जाने के लिये परिवहन की व्यवस्था करने को कहा है।

चंडीगढ़ जिला कोर्ट ने नहीं दी गर्भपात की अनुमति

बलात्कार पीड़िता के 26 सप्ताह की गर्भवती होने की पुष्टि होने के बाद चंडीगढ़ की जिला कोर्ट ने 18 जुलाई को उसे गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद ही इस मामले में शीर्ष कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी। कोर्ट गर्भ का चिकित्सीय समापन कानून के तहत 20 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमित प्रदान करता है और भ्रूण में आनुवांशिक असमान्यता होने की स्थिति में अपवाद स्वरूप इतर आदेश भी दे सकता है।

याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने शीर्ष कोर्ट से विशेषकर बलात्कार पीड़ित बच्चों के गर्भपात से संबंधित मामलों में तत्परता से कदम उठाने के इरादे से देश के प्रत्येक जिले में स्थाई मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिये उचित दिशानिर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

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