इंदिरा सरकार ने शुरू की थी हज सब्सिडी, मोदी सरकार ने की खत्म

इंदिरा सरकार ने शुरू की थी हज सब्सिडी, मोदी सरकार ने की खत्म

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-17 05:42 GMT
इंदिरा सरकार ने शुरू की थी हज सब्सिडी, मोदी सरकार ने की खत्म

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को "हज सब्सिडी" को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हज सब्सिडी पर खर्च होने वाला पैसा अब मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत सभी कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। हज पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने की मांग पहले भी कई बार की जा चुकी है, लेकिन हर बार इस मांग को दरकिनार कर दिया गया। अब मोदी सरकार ने एक ही झटके में हज सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है और ये फैसला इसी साल से लागू हो जाएगा। इसका मतलब 2018 में हाजी बिना सब्सि़डी के ही हज जाएंगे। हज सब्सिडी खत्म करने का स्वागत मुस्लिम समुदाय भी करते आ रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हज सब्सिडी की शुरुआत कैसे हुई और क्यों इसे खत्म करने की मांग उठती रही?


इंदिरा सरकार ने शुरू की थी हज सब्सिडी

आजादी के 7 साल बाद तक यानी 1954 तक मुसलमान मुंबई शिपिंग कंपनी के जहाजों से ही हज पर जाते थे, लेकिन इसके बाद फ्लाइट से हज जाने की शुरुआत हुई। फ्लाइट से हज जाने की शुरुआत के बाद भी हाजी जहाजों से ही हज जाते थे। 1960 के दशक में गल्फ वॉर, फिर उसके बाद ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़ (OPEC) के बनने के बाद फ्यूल का खर्चा बढ़ा। जिसके बाद 1973 में सरकार ने हाजियों को फ्लाइट के जरिए हज भेजने का फैसला लिया। फ्लाइट से जाने के कारण हाजियों पर खर्चा बढ़ा तो इससे राहत दिलाने के लिए इंदिरा गांधी की सरकार ने हज सब्सिडी की शुरुआत की थी।

 



हज कमेटी के जरिए जाने वालों को ही सब्सिडी

दुनिया के लाखों-करोड़ों मुसलमान हर साल हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हज जाने वाले हाजियों में कुल 11 फीसदी हाजी भारतीय मुसलमान होते हैं। इन हाजियों की यात्रा के खर्च का थोड़ा हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में देती है, लेकिन ये सब्सिडी उन्हीं हाजियों को मिलती थी, जो हज कमेटी के जरिए जाते थे। इनमें अपने खर्चे पर जाने वाले हाजियों को कोई सब्सिडी नहीं मिलती थी। अब मोदी सरकार ने हज सब्सिडी पूरी तरह से खत्म कर दी है तो अब से हाजियों को अपने खर्चे पर ही हज जाना होगा।

वाजपेयी और कांग्रेस सरकार ने नहीं की खत्म

हज पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने की मांग लंबे अरसे से चली आ रही है। 1998 से 2004 तक जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब पार्लियामेंट्री कमेटी ने हज सब्सिडी को खत्म करने की सिफारिश की थी, लेकिन अटल सरकार ने इसे नहीं माना। इसके बाद 2006 में एक बार फिर से पार्लियामेंट्री कमेटी ने हज सब्सिडी को खत्म करने का सुझाव दिया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे नहीं माना।



सुप्रीम कोर्ट ने हज सब्सिडी खत्म करने के आदेश दिए

इसके बाद बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल गोदरिया और बीएन शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन फाइल कर हज सब्सिडी को खत्म करने की मांग की। इसके बाद 8 मई 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल के अंदर धीरे-धीरे हज सब्सिडी को खत्म करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद से ही हज सब्सिडी को धीरे-धीरे कम कर दिया गया। हालांकि उसके बाद भी हज सब्सिडी को खत्म नहीं किया गया, बस इसमें कटौती कर दी गई।

मुसलमान भी करते रहे हैं इसे खत्म करने की मांग

हज सब्सिडी को खत्म करने की मांग मुस्लिम समुदाय भी करते आए हैं। मुसलमानों के मुताबिक, हज सब्सिडी के नाम पर उन्हें बेवकूफ बनाया गया और इसका फायदा मुस्लिमों की बजाय एयर इंडिया को मिला। मुसलमानों का कहना है कि "हज सब्सिडी का सबसे ज्यादा फायदा एयर इंडिया कंपनी को होता है, क्योंकि घाटे में चल रही एयर इंडिया को अचानक से 1 लाख से ज्यादा पैसेंजर्स मिल जाते हैं।" हज सब्सिडी को खत्म करने की मांग ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी करते रहे हैं। ओवैसी का कहना है कि "हज सब्सिडी को खत्म कर ये पैसा मुस्लिम लड़कियों की पढ़ाई पर खर्च होना चाहिए।"

 



2012 के बाद से हर साल हुई कटौती

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से हर साल हज सब्सिडी पर कटौती की गई। 2012 में जहां 836.55 करोड़ रुपए की हज सब्सिडी दी गई, वहीं 2013 में इसमें करीब 150 करोड़ की कटौती करते हुए 680.03 करोड़ रुपए कर दिया गया। 2014 में हज के लिए 577.07 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई, 2015 में ये कम होकर 529.51 करोड़ रुपए हो गई। 2016 में हज सब्सिडी की रकम कम होकर 405 करोड़ रुपए हो गई और 2017 में सरकार ने सब्सिडी के लिए सिर्फ 250 करोड़ रुपए दिए। अब 2018 में हज सब्सिडी को पूरी तरफ खत्म कर दिया गया।

लगातार बढ़ती रही हाजियों की संख्या

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मक्का जाने वाली हाजियों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। 1996 में जहां 75,346 हाजी हज करने गए, तो वहीं 2000 में इनकी संख्या बढ़कर 1,13,909 हो गई। 2012 में हाजियों की संख्या बढ़कर 1,69,961 हो गई, लेकिन 2013 में ये फिर कम होकर 1,35,938 हो गई। इसके बाद से हाजियों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद 1,35,966 हाजी मक्का गए और 2017 में 1,69,940 हाजी मक्का पहुंचे। बताया जा रहा है कि इस साल ये संख्या और बढ़ेगी और 2018 में 1,75,000 हाजी हज पर जाएंगे। इसके साथ ही 1300 महिलाएं भी इस बार अकेले ही हज के लिए जाएंगी। 

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