मप्र : भाजपा की उड़ते भगवा रंग को गहरा करने की कवायद

मप्र : भाजपा की उड़ते भगवा रंग को गहरा करने की कवायद

IANS News
Update: 2020-03-06 14:31 GMT
मप्र : भाजपा की उड़ते भगवा रंग को गहरा करने की कवायद
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भोपाल, 6 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) उत्तर भारत के नक्शे से माह-दर-माह उड़ते भगवा रंग को राज्यसभा चुनाव के जरिए गहरा करना चाहती है, इसके लिए उसने मध्य प्रदेश को चुना है, यही कारण है कि वह विरोधी दलों के विधायकों को भी अपने संपर्क में लाने की कोशिशों में जुटी है। दूसरी ओर दिल्ली में बड़े नेता बैठक करके अभेद्य रणनीति पर काम कर रहे हैं।

राज्य में भाजपा डेढ़ दशक तक सत्ता में रही और लगभग डेढ़ साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से पिछड़ने पर सत्ता से हाथ धोना पड़ा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला, लेकिन बहुमत के करीब जरूर पहुंची और उसने निर्दलीय, बसपा व सपा के विधायकों का समर्थन हासिल कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया।

मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में भाजपा के भगवा का रंग उड़ा हुआ है, इन राज्यों में भाजपा सत्ता से बाहर हुई है। महाराष्ट्र में तो सत्ता की चाबी हाथ में आने के बाद भी राजनीतिक गठजोड़ ने सत्ता से बाहर कर दिया। इन राज्यों में भाजपा एक बार फिर अपनी ताकत को मजबूत करना चाहती है, उसी के चलते मध्य प्रदेश की राज्यसभा की तीन में से दो सीटों पर भाजपा कब्जा जमाना चाहती है।

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं, कांग्रेस और भाजपा को एक-एक सीट मिलना तय है मगर तीसरी सीट पाने के लिए किसी भी दल को बाहर से समर्थन लेना ही होगा, लिहाजा हमारी भी संभावनाओं पर नजर है।

राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षाकृत सफलता न मिलने और भगवा रंग उड़ने के सवाल पर डॉ विजयवर्गीय का कहना है, विधानसभा और राज्यसभा के चुनाव दोनों अलग हैं, राज्यसभा का क्षेत्राधिकार अलग होता है। हर दल चाहता है कि उसके ज्यादा से ज्यादा सदस्य राज्यसभा में पहुंचें, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जहां तक मध्य प्रदेश की बात है, किसी भी दल को दूसरी सीट जीतने के लिए बाहर से समर्थन लेना होगा। चुनाव को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के कम या ज्यादा होते प्रभाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं होगा।

इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव का कहना है, भाजपा अपने घटते प्रभाव से चिंतित है, वह येन-केन प्रकारेण राज्यसभा में ज्यादा से ज्यादा सदस्य भेजना चाहती है, इसके लिए उसने गुजरात में इसी तरह की कोशिश की थी। अब मध्य प्रदेश में विधायक न होने के बावजूद भाजपा राज्यसभा की दूसरी सीट जीतने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रही है, मगर इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली।

भाजपा पर आरोप लग रहे हैं कि वह विधायकों की खरीद फरोख्त में लगी है। कांग्रेस के तराना से विधायक महेश परमार ने खुले तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिए जाने का आरोप लगाया है।

परमार का कहना है, पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने भाजपा के साथ आने पर 35 करोड़ रुपये और मंत्री पद देने के बारे में कहा था। एक और दो मार्च को फोन आया था।

भाजपा ने आगामी रणनीति बनाने के लिए पार्टी के प्रमुख नेताओं को दिल्ली तलब किया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वी डी शर्मा, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा दिल्ली में हैं। इन नेताओं की राज्य से नाता रखने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल आदि के साथ बैठकें चल रही हैं। इन बैठकों में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी हिस्सा ले रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से भी चर्चा हो चुकी है।

राज्य विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा के लिए भाजपा और कांग्रेस के एक-एक सदस्य का निर्वाचित होना तय है। राज्य की 230 सीटों में से 228 विधायक हैं, दो सीटें खाली हैं। कांग्रेस के 114 और भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा के एक विधायक के समर्थन से चल रही है। कांग्रेस को दो विधायकों और भाजपा को नौ विधायकों का समर्थन मिलने पर ही दूसरी सीट जीत पाना संभव होगा।

राज्यसभा के एक सदस्य के लिए 58 विधायकों का समर्थन चाहिए, इस स्थिति में कांग्रेस और भाजपा के एक-एक सदस्य का चुना जाना तय है, क्योंकि दोनों के पास 58 से ज्यादा विधायक है, वहीं दूसरी सीट पाने के लिए दोनों दल जोर लगा रहे हैं। कांग्रेस को दूसरा उम्मीदवार जिताने के लिए दो विधायक और भाजपा को नौ विधायकों की जरूरत होगी। निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा का एक विधायक इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इन सभी के भाजपा के पास आने पर दोनों का आंकड़ा बराबर हो जाएगा। वहीं कांग्रेस के एक विधायक हरदीप डंग द्वारा इस्तीफा देने से अब कांग्रेस का आंकड़ा 55 पर आ जाएगा। इसके साथ कांग्रेस के कुछ अन्य विधायकों का इस्तीफा दिलाने की रणनीति पर काम कर भाजपा लाभ उठाने की ताक में है।

-- आईएएनएस

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