खोजा गया निपाह वायरस का इलाज, इस होम्योपैथिक विभाग ने किया दावा

खोजा गया निपाह वायरस का इलाज, इस होम्योपैथिक विभाग ने किया दावा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-03 14:05 GMT
खोजा गया निपाह वायरस का इलाज, इस होम्योपैथिक विभाग ने किया दावा

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। निपाह वायरस ने लगभग पूरे केरल राज्य को अपनी चपेट में ले लिया है। इस निपाह बीमारी का सही इलाज ढूंढने के लिए देश के बड़े बड़े डॉक्टर मेहनत करते नजर आ रहे हैं। मगर इंडियन होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन की केरल इकाई ने इस निपाह वायरस के इलाज के लिए सही दवा ढूंढ लेने का दावा किया है। इंडियन होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन के अधिकारी बी. उन्नीकृष्णन ने इस मामले में जानकारी दी है।

बी. उन्नीकृष्णन ने जानकारी देते हुए होम्योपैथिक को सभी तरह के बुखार के लिए उचित दवा बताया है। उन्होंने मांग की है कि उन्हें संक्रमित मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी जानी चाहिए। बता दें कि अब तक निपाह से 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2 की हालत में सुधार हो रहा है। संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लगभग 2,000 लोगों को निगरानी में रखा जा रहा है।

इंडियन होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन की केरल इकाई ने स्वास्थ्य मंत्री के. के. शैलजा से निवेदन किया है कि उन्हें मरीजों की जांच करने की अनुमति दी जाए। अनुरोध में एसोसिएशन ने कहा कि उनके पेशेवर सिर्फ उन्हीं मरीजों की जांच करेंगे, जो निपाह वायरस की जांच में पॉजीटिव पाए गए हैं।

इस मामले में जब स्वास्थ्य सचिव राजीव सदानंदन से बात की गई तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक विभाग सीधे मेरे अधीन काम करता है और अब तक किसी ने मुझसे या विभाग से संपर्क नहीं किया है। सचिव ने कहा कि अगर एसोसिएशन द्वारा कोई निवेदन किया गया है तो हमें इसमें कोई समस्या नहीं है।


घबराने की जरूरत नहीं, स्थिति नियंत्रण में है


राजीव सदानंदन ने कहा कि निपाह वायरल को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों के समयपूर्ण हस्तक्षेप की वजह से इस वायरस को फैलने से रोका गया है। लोगों में डर का कारण यह भी है कि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें प्रसारित की गई हैं। सचिव ने कहा कि निपाह वायरस की जांच के लिए अभी तक 196 नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है जिनमें 18 पॉजीटिव मामलों में से चार संक्रमित थे। हालांकि, उनका सीधे तौर से मरीजों से कभी कोई संपर्क नहीं रहा।

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