हिंदू राष्ट्र के पीछे कोई राजनीतिक संकल्पना नहीं, भारत में 130 करोड़ लोग हिंदू: भागवत

हिंदू राष्ट्र के पीछे कोई राजनीतिक संकल्पना नहीं, भारत में 130 करोड़ लोग हिंदू: भागवत

IANS News
Update: 2020-10-25 05:30 GMT
हिंदू राष्ट्र के पीछे कोई राजनीतिक संकल्पना नहीं, भारत में 130 करोड़ लोग हिंदू: भागवत
हाईलाइट
  • हिंदू राष्ट्र के पीछे कोई राजनीतिक संकल्पना नहीं
  • भारत में 130 करोड़ लोग हिंदू: भागवत

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू, हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर संघ का ²ष्टिकोण स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि संघ के हिंदू राष्ट्र कहने के पीछे कोई राजनीतिक और सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती। संघ मानता है कि हिंदू शब्द, भारत वर्ष को अपना मानने वाले सभी 130 करोड़ बंधुओं पर लागू होता है।

नागपुर के रेशिमबाग से संघ के विजयादशमी उत्सव को रविवार को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, देश की एकात्मता व सुरक्षा के हित में हिन्दू शब्द को आग्रहपूर्वक अपनाकर, उसके स्थानीय तथा वैश्विक, सभी अर्थों को कल्पना में समेटकर संघ चलता है। संघ जब हिन्दुस्थान हिन्दू राष्ट्र है इस बात का उच्चारण करता है तो उसके पीछे कोई राजनीतिक अथवा सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती।

मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दुत्व ऐसा शब्द है, जिसके अर्थ को पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया है। संघ की भाषा में उस संकुचित अर्थ में उसका प्रयोग नहीं होता। वह शब्द अपने देश की पहचान को, अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सातत्य तथा समस्त मूल्य सम्पदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है।

मोहन भागवत ने कहा, संघ मानता है कि हिंदुत्व शब्द भारतवर्ष को अपना मानने वाले, उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखाने वाली उसकी पूर्वज परम्परा का गौरव मन में रखने वाले सभी 130 करोड़ समाज बन्धुओं पर लागू होता है।

मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू शब्द के विस्मरण से हमको एकात्मता के सूत्र में पिरोकर देश व समाज से बांधने वाला बंधन ढीला होता है। इसीलिए इस देश व समाज को तोड़ने की चाह रखने वाले, हमें आपस में लड़ाने वाले, इस शब्द को, जो सबको जोड़ता है, अपने तिरस्कार व टीका टिप्पणी का पहला लक्ष्य बनाते हैं।

उन्होंने कहा, हिन्दू किसी पंथ, सम्प्रदाय का नाम नहीं है, किसी एक प्रांत का अपना उपजाया हुआ शब्द नहीं है, किसी एक जाति की बपौती नहीं है, किसी एक भाषा का पुरस्कार करने वाला शब्द नहीं है। समस्त राष्ट्र जीवन के सामाजिक, सांस्कृतिक, इसलिए उसके समस्त क्रियाकलापों को दिग्दर्शित करने वाले मूल्यों का व उनके व्यक्तिगत, पारिवारिक, व्यवसायिक और सामाजिक जीवन में अभिव्यक्ति का नाम हिन्दू शब्द से निर्दिष्ट होता है।

एनएनएम-एसकेपी

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