36 साल बाद कश्मीर में दोबारा स्थापित की गई चोरी हुई मां भद्रकाली की मूर्ति

36 साल बाद कश्मीर में दोबारा स्थापित की गई चोरी हुई मां भद्रकाली की मूर्ति

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-19 18:57 GMT
36 साल बाद कश्मीर में दोबारा स्थापित की गई चोरी हुई मां भद्रकाली की मूर्ति

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। 36 साल बाद सेना ने कश्मीर के मंदिर में मां भद्रकाली की मूर्ति की पुनर्स्थापना की है। कश्मीर के हंदवाड़ा जिले के ऐतिहासिक मंदिर में मूर्ति की स्थापना की गई है। मूर्ति की स्थापना के दौरान गांव में उत्सव सा माहोल देखने को मिला। मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी पहुंची। बता दें कि यह मूर्ति 1981 में मन्दिर से चुरा ली गई थी। मूर्ति को ढूंढने के बाद उसे 1999 से जम्मू में ही रखा गया था। मन्दिर की सुरक्षा में तैनात 21 आरआर ने नवरात्रि के मौके पर मूर्ति को फिर से मन्दिर में स्थापित करवाया। मंदिर की सुरक्षा के लिए सेना के जवानों की तैनाती भी की गई है।

नवरात्री के पहले दिन की गई स्थापित
जानकारी के मुताबिक भूषण लाल पंडित ने सेना की 7 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स के ब्रिगेडियर डीआर राय से इस प्रतिमा को कश्मीर में पुनर्स्थापित कराने का आग्रह किया था। जिसके बाद ब्रिगेडियर ने वादा किया था कि नवरात्र के पहले दिन मूर्ति की स्थापना की जाएगी। इसके बाद 18 मार्च 2018 को नवरात्री के पहले दिन इस मूर्ति को पुनर्स्थापित किया गया। इस खास मौके पर सेना की ओर से जीओसी मेजर जनरल एके सिंह समेत राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट के तमाम जवान भी मौजूद रहे। मूर्ति की स्थापना के बाद मीडिया से बात करते हुए जीओसी ने कहा कि, मूर्ति की सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में सेना की 21 राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट के जवानों को तैनात किया जा रहा है। ये नियमित रूप से अपनी सेवाएं देंगे।

18वीं सदी में की गई थी स्थापना
इस मंदिर से एक रोचक कहानी जुड़ी है। कहा जाता है कि 1891 में हंदवाड़ा के निवासी सरवा वायू को माता ने सपने में दर्शन दिये और उसे बताया कि खान्यार के पास एक गुफा में माता की मूर्ति है। उन्होंने ही वो मूर्ति वहां से निकलवाकर हंदवाड़ा में मन्दिर बनवाकर स्थापित करवाई। बाद में 1981 में मूर्ति चोरी हो गई और इसे 1983 में इसे खोज निकाला गया। मूर्ति को भूषण लाल पंडित अपने साथ जम्मू ले आए और उन्होंने इतने वर्षों तक मां की पूर्जा अर्चना की। वर्ष 2017 में उन्होंने 7 आरआर के ब्रिगेडियर डी आर राय से मुलाकात कर मूर्ति को फिर से मन्दिर में स्थापित करने के लिए सहयोग मांगा। सेना की मदद से 38 वर्षों के बाद एक बार फिर माता को उनके मन्दिर में विराजमान किया गया।

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