कॉलेज छात्राओं को पसंद नहीं आया यूनिफार्म नियम, वसुंधरा सरकार ने वापस लिया फैसला

कॉलेज छात्राओं को पसंद नहीं आया यूनिफार्म नियम, वसुंधरा सरकार ने वापस लिया फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-13 13:41 GMT
कॉलेज छात्राओं को पसंद नहीं आया यूनिफार्म नियम, वसुंधरा सरकार ने वापस लिया फैसला

डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने कुछ दिन पहले ही सभी सरकारी कॉलेजों में यूनिफार्म अनिवार्य कर दी थी। इस आदेश के बाद स्टूडेंट्स ने बड़ी तादात में इसका विरोध दर्ज कराया। छात्रों के विरोध के कारण वसुंधरा सरकार को आदेश वापस लेना पड़ा। इसके बाद कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने मंगलवार को यह यूनिफार्म वाला आदेश वापस ले लिया। अब कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनना स्वैच्छिक हो गया है।

स्टूडेंट्स के विरोध के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए कहा कि सरकारी कॉलेजों में यूनिफॉर्म को कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने लागू किया था। इस नियम को छात्रों के प्रतिनिधियों के सुझावों के बाद ही लागू किया था। अब इस मामले में कुछ स्टूडेंट्स ने अपनी आपत्ति जताई है। ऐसे में अब कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनना स्वैच्छिक किया जाता है।

 


वसुंधरा राजे ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘यूनिफॉर्म की अनिवार्यता से कई छात्राएं नाखुश हैं। ऐसा मेरी संज्ञान में लाया गया है। इसे देखते अब कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनना स्वैच्छिक किया जाता है।’ एक अन्य ट्वीट में वसुधंरा ने कहा कि उनकी सरकार बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करने के लिए हर जरूरत को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

 


वहीं जब यूनिफार्म का नियम लागू किया गया था, तब राजस्थान की उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा था कि सरकार ने महाविद्यालयों में यूनिफॉर्म की अनिवार्यता का निर्णय छात्रों की मांग के चलते लिया है। महाविद्यालयों में बाहरी तत्वों के प्रवेश को रोकने के लिये ड्रेस कोड के लिए छात्रों ने मांग की थी।

BJP सरकार के इस निर्णय को आरएसएस का अजेंडा बताते हुए विपक्ष ने विरोध किया था। कांग्रेस ने मुख्य सचेतक गोविंद डोटासरा ने कहा था कि सरकार ने शैक्षणिक पाठ्यक्रम बदल दिया और अब महाविद्यालयों में भगवाकरण का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हम इसका विरोध करते हैं और ऐसे किसी भी प्रयास को लागू नहीं होने देंगे।"

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