राज्यसभा में चुनाव NOTA विकल्प पर सुप्रीम कोर्ट की NO

राज्यसभा में चुनाव NOTA विकल्प पर सुप्रीम कोर्ट की NO

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-21 07:42 GMT
राज्यसभा में चुनाव NOTA विकल्प पर सुप्रीम कोर्ट की NO
हाईलाइट
  • अन्य चुनाव में नोटा विकल्प पहले की तरह ही इस्तेमाल किया जाएगा।
  • राज्यसभा चुनाव में इस्तेमाल नहीं होगा नोटा का विकल्प।
  • सुप्रीम कोर्ट ने लगाया प्रतिबंध।


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में नोटा (NOTA) का विकल्प निरस्त कर दिया। सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि अब राज्यसभा चुनावों में को नोटा का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। राज्यसभा चुनाव को छोड़कर अन्य चुनावों में नोटा का इस्तेमाल पहले की तरह किया जाएगा। कोर्ट ने ये फैसला राज्यसभा चुनाव में नोटा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटा सिर्फ प्रत्यक्ष चुनाव में हो सकता है।

 



दरअसल, पिछले साल गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता शैलेश परमार ने याचिका दाखिल कर NOTA का विकल्प रखने का विरोध किया था। हालांकि, तब कोर्ट ने रोक से मना कर दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की उस अधिसूचना पर सवाल भी उठाए थे, जिसमें राज्यसभा चुनावों के लिए बैलट पेपर में ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) की अनुमति दी गई थी।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नोटा की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि प्रत्यक्ष चुनावों में कोई व्यक्ति वोटर के तौर पर इस विकल्प का इस्तेमाल कर सके। कोर्ट के मुताबिक किसी असंवैधानिक कृत्य में एक संवैधानिक न्यायालय पक्ष क्यों बने। यदि कोई व्यक्ति वोट नहीं डालता है तो उसे पार्टी से निकाला जा सकता है, लेकिन नोटा लाकर आप (चुनाव आयोग) वोट नहीं डालने के कृत्य को वैधता प्रदान कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि नोटा का विकल्प प्रत्यक्ष मतदान में वोट डालने वाले व्यक्तियों के लिए शुरू किया गया था। राज्यसभा और विधान परिषदों के चुनावों में खुली बैलेट वोटिंग प्रणाली के विचार के पीछे भ्रष्ट गतिविधियों के कारण क्रॉस-वोटिंग पर रोक लगाना था।

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