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Update: 2018-06-17 14:18 GMT

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में आतंकवादी अब स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये बुलेट बुलेटप्रूफ बंकरों को भेदने में सक्षम हैं। खास तौर पर आतंकी संगठन जैश-ए मोहम्मद इसका इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे बुलेट के इस्तेमाल ने सुरक्षाबलों की थोड़ी चिंताएं बढ़ा दी हैं।

31 दिसंबर 2017 को पहला मामला
पहला मामला 31 दिसंबर 2017 को सामने आया था, जब न्यू ईयर ईव पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने साउथ कश्मीर के लोथपोरा में सुसाइड अटैक किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे। जांच में सामने आया था कि आतंकवादियों ने एके-47 राइफल में स्टील की बुलेट का इस्तेमाल किया था। शहीद हुए पांच में से एक जवान को ये गोली लगी थी। जिस वक्त ये गोली लगी थी उस वक्त ये जवान बुलेटप्रूफ बंकर में था और आतंकियों का मुकाबला कर रहा था। इस तरह की गोली को आर्मर पियर्सिंग (कवच को भेदने वाली) नाम दिया गया है। इसे कड़े स्टील या टंगस्टन कार्बाइड से बनाया जाता है।

आम बुलेट में माइल्ड स्टील का इस्तेमाल होता है
कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में लगे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जांच में जो तथ्य निकलकर सामने आए हैं, उसके बाद एहतियात के तौर पर पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं। आम तौर पर एके 47 राइफल में जो बुलेट इस्तेमाल किए जाते हैं उसके लीड कोर में माइल्ड स्टील का इस्तेमाल होता है। ये बुलेट बुलेटफ्रूफ शील्ड को भेद नहीं सकते, लेकिन 31 दिसंबर, 2017 की मुठभेड़ और बाद के निष्कर्ष बताते है कि गोरिल्ला युद्ध के नियम बदल गए है।

चाइनीज टेक्नोलॉजी से तैयार हो रहे बुलेट
कश्मीर में बीते साल हुए आतंकी हमलों की जांच में पता चला कि पुलवामा पुलिस लाइन में हुए आतंकी हमले में भी आतंकियों ने स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था। हमले में 8 जवान शहीद हो गए थे। कश्मीर में सर्च ऑपरेशन के दौरान जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों से भारी मात्रा में स्टील की बुलेट्स बरामद हुई थीं। अधिकारियों के मुताबिक सीमा पार चाइनीज टेक्नोलॉजी की मदद से ऐसे बुलेट तैयार किए जा रहे है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब इन बुलेट्स को जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकवादियों के पास से बरामद किया  गया है। हालांकि यह संख्याओं में बहुत कम हैं।

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