महंगाई की मार: फिर बढ़ सकते हैं प्याज के दाम, फल और दाल भी करेंगी हलाकान, महाराष्ट्र के मौसम से बिगड़ सकता है आप के किचन का बजट!

  • प्याज के दाम में लगेगी आग
  • बारिश बनेगी किचन के लिए नई मुसीबत

Raj Singh
Update: 2023-11-22 09:42 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आने वाले समय में किचन का बजट बिगाड़ सकता है क्योंकि जिस राज्य में प्याज, दाल, चीनी, फल और सब्जियां अधिक मात्रा में उगाई जाती है वहां सुखे जैसे हालात बने हुए हैं। बारिश न होने की वजह से ये सभी उत्पाद खराब हो रहे हैं। महाराष्ट्र में रबी की फसल बोए जाने के बाद से बारिश नहीं हुई है जिसकी वजह से किसानों के फसल बरबाद हो रहे हैं। महाराष्ट्र प्याज, दाल, चीनी, फल और सब्जियों का प्रमुख उत्पादन वाले राज्यों में से एक है। यहां बीते वर्ष की तुलना में प्रदेश में 20 फीसदी कम बारिश हुई है।

द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पानी की कमी की वजह से रबी सीजन की प्याज की बुआई कम होने की संभावना है। अरहर और चीनी का उत्पादन पहले से ही कम हुआ है। जबकि महाराष्ट्र में गेहूं और चना की बुआई भी कम हुई है। वहीं पहले से ही प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं।

पांच की जगह दो एकड़ में प्याज की बुआई

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, मानसून के दौरान महाराष्ट्र में बारिश सामान्य हुई थी जिसकी वजह से मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और उत्तरी महाराष्ट्र जैसे कई इलाकों में इसकी कमी महसूस की जा रही है। जो किसान पहले पांच एकड़ में प्याज की बुआई करते थे उन्होंने इस बार पानी की कमी की वजह से पांच से घटाकर 2 एकड़ कर दिया है। कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने दिवाली के दौरान प्याज नर्सरी में बोई थी लेकिन अब वो खरीददार तलाश रहे हैं।

प्याज की कम बुआई से अगले साल सप्लाई प्रभावित

रबी सीजन 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक रहता है। प्याज की कम बुआई से अगले साल सप्लाई प्रभावित हो सकता है। प्याज का दाम पहले से ही हाई है। फिलहाल प्याज का दाम 42 फीसदी तक बढ़ चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक एक साल पहले की तुलना में इस महीने 6.6 फीसदी ऊपर था।

नर्सरी में प्याज की बीज तैयार करने में 45 से 55 दिन का समय लगता है। जिसके बाद पौधा की रोपाई की जाती है। खरीफ सीजन का प्याज 90 दिनों में तैयार होता है। जबकि रबी के प्याज को पकने में 4 महीने का समय लगता है।

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