राजनीति: गांडेय विधानसभा उपचुनाव के लिए कल्पना सोरेन ने भरा पर्चा, सीएम सहित झारखंड के चार मंत्री रहे मौजूद

गिरिडीह जिले की गांडेय विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन ने झामुमो प्रत्याशी के तौर पर सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया। इस मौके पर झारखंड के सीएम चंपई सोरेन अपने मंत्रिमंडल के पांच सहयोगियों के साथ उपस्थित रहे। इनमें झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम, कल्पना सोरेन के देवर और झारखंड सरकार के मंत्री बसंत सोरेन, मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता और सत्यानंद भोक्ता शामिल हैं।

IANS News
Update: 2024-04-29 08:12 GMT

गिरिडीह, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। गिरिडीह जिले की गांडेय विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन ने झामुमो प्रत्याशी के तौर पर सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया। इस मौके पर झारखंड के सीएम चंपई सोरेन अपने मंत्रिमंडल के पांच सहयोगियों के साथ उपस्थित रहे। इनमें झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम, कल्पना सोरेन के देवर और झारखंड सरकार के मंत्री बसंत सोरेन, मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता और सत्यानंद भोक्ता शामिल हैं।

बता दें कि इस सीट से झामुमो के विधायक डॉ सरफराज अहमद ने 1 जनवरी 2024 को इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यसभा भेजा।

सोमवार को कल्पना सोरेन के नामांकन के अवसर पर सरफराज अहमद भी मौजूद रहे।

कल्पना सोरेन ने नामांकन के लिए गिरिडीह जाने के पहले झामुमो के प्रमुख और अपने ससुर शिबू सोरेन जी और सासु मां के आवास पर जाकर उनका आशीर्वाद लिया।

उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “झारखण्ड मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष आदरणीय बाबा दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी द्वारा मुझे गांडेय विधानसभा उपचुनाव लड़ने का निर्देश दिया गया है... झारखंडी अस्मिता की रक्षा करने वाले सच्चे सिपाही हेमन्त जी की जीवन संगिनी, मैं, कल्पना मुर्मू सोरेन, झामुमो की सिपाही के रूप में झारखंड और गांडेय विधानसभा की जनता के हक-अधिकार के लिए जीवनपर्यंत कार्य करती रहूंगी।”

बता दें कि इस सीट पर भाजपा ने कल्पना के मुकाबले दिलीप कुमार वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर 1977 से लेकर अब तक का चुनावी इतिहास यह है कि यहां पांच बार झामुमो, दो बार कांग्रेस, दो बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। यानी यह किसी एक पार्टी का अभेद्य किला नहीं है।

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